इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि उनकी सरकार गिलगित बाल्तिस्तान को अस्थाई तौर पर प्रांत का दर्जा देने के लिए प्राथमिकता के आधार पर काम करेगी। खान गिलगित बाल्सिस्तान की 14 सदस्य कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए विवादित क्षेत्र पहुंचे थे, जिसके बाद उन्होंने उक्त टिप्पणी की। बता दें कि इमरान खान के गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा देने के कदम का उनके देश में ही विरोध हो रहा है। हाल ही में, इमरान खान की सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बनाकर वहां चुनाव करवाए और सूबे में अब उनकी ही पार्टी का नेता मुख्यमंत्री है। भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत बनाने के फैसले को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरा पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान को उसकी स्थिति में बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है।
पाकिस्तान के भीतर भी कुछ धड़े इमरान सरकार के इस कदम को गलत करार दे रहे हैं। उनकी चिंता ये है कि गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत बनाने से कश्मीर का एजेंडा कमजोर पड़ जाएगा और यही बात पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख दुर्रानी ने भी कही है। दुर्रानी ने साल 2018 में "स्पाई क्रोनिकल्स: रॉ, आईएसआई ऐंड द इल्यूशन ऑफ पीस विद इंडियन' नाम से एक किताब भी लिखी थी जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था। दुर्रानी ने यह किताब भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (रिसर्च एनलिसिस विंग) के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत के साथ मिलकर लिखी थी।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख से जब यह सवाल किया गया कि 5 अगस्त को भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा छीना तो उससे कई समस्याएं खड़ी हो गईं लेकिन क्या पाकिस्तान का गिलगित बाल्टिस्तान को सूबा बनाने का फैसला सही है? दुर्रानी ने कहा, आप बिल्कुल सही बोल रहे हैं। मैं जब कश्मीर को हैंडल कर रहा था तो मेरे एक करीबी दोस्त युसूफ ने कहा था कि अगर एक बार हमने ऐसी गलती की तो हमारे कश्मीर एजेंडे को बहुत गहरा धक्का लगेगा। उन्होंने कहा, कई चीजों का स्टेटस नहीं बदला जाना चाहिए क्योंकि जब भी सियासी नंबर बढ़ाने के लिए ऐसा करेंगे तो हमें नुकसान होगा। बहावलपुर और स्वात बड़े अच्छे स्टेट थे. इन्हें मुख्यधारा में शामिल कर दिया और वही मुख्यधारा भ्रष्ट और नाकाम है। बलूचिस्तान के साथ भी हमने ऐसा ही किया। इसके तीन प्रांत बेहतर तरीके से संभल जाते थे लेकिन हमने उसे एक कर दिया और अब संभाल नहीं पा रहे हैं।
गौरतलह है कि इमरान सरकार ने कुछ दिनों पहले ही इस इलाके में चुनाव कराने की घोषणा की थी। हालांकि भारत ने इस घोषणा के खिलाफ अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। विदेश मंत्रालय ने नवंबर महीने में होने वाले चुनाव को लेकर कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में चुनाव कराकर पाकिस्तान भारत के हिस्से पर अवैध कब्जा नहीं कर सकता है। चुनाव करवाने का फैसला वहां के लोगों के लिए सीधे-सीधे मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का गंभीर मामला है।