इस्लामाबाद: मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण की निगरानी करने वाला फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की डिजिटल पूर्ण सत्र की बैठक आज से शुरू हो गई है। तीन दिनों की इस बैठक में पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ प्रदर्शनों की समीक्षा की जाएगी। जानकारों का मानना है कि उसे पहले की ही तरह अभी भी ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा। हालांकि, पाकिस्तान खुद को इस सूची से निकालने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। पाकिस्तान उम्मीद कर रहा है कि उसे ग्रे सूची से हटाकर काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में नहीं डाला जाएगा।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने कहा है कि एफएटीएफ एक्शन प्लान 2018 से लागू किया जा रहा है और इस संबंध में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। उन्होंने कहा, "एफएटीएफ की प्रक्रिया चल रही है। पाकिस्तान 2018 से एफएटीएफ एक्शन प्लान को लागू कर रहा है और हमने इस संबंध में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हमारे संपूर्ण एएमएल/सीएफटी शासन को एफएटीएफ की ओर से निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर लाने के लिए कार्य योजना के अनुपालन में नया रूप दिया गया है।"
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की ओर से एक बड़े राष्ट्रीय प्रयास के तहत की गई पर्याप्त प्रगति में विधायी, नियामक और परिचालन डोमेन के कदम शामिल हैं।" हालांकि देश की यह तथाकथित प्रगति अभी भी एफएटीएफ की ओर से प्रदान की गई 27-बिंदु कार्य योजना का अनुपालन नहीं करती है। अगर एफएटीएफ की ओर से प्रदान किए गए इन बिंदुओं पर पाकिस्तान जमीनी स्तर पर कार्य नहीं दिखा पाता है तो उसकी ग्रे सूची में बने रहने की आस धूमिल हो जाएगी और वह ब्लैक लिस्ट हो जाएगा।
कुछ दिन पहले ही एफएटीएफ ने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के लचर रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई थी। एफएटीएफ के अधिकारियों ने कहा था कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ हमारे 27 कार्ययोजनाओं में से प्रमुख छह योजनाओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है। इसमें भारत में वांछित आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई न करना भी शामिल हैं।
इस्लामाबाद 2018 से ही आतंकी वित्तपोषण और धन शोधन के प्रसार और प्रवाह पर अंकुश न लगा पाने या इसे नहीं रोक पाने पर एफएटीएफ ग्रे की सूची में बना हुआ है। पाकिस्तान को फरवरी में समय सीमा बढ़ाकर एक राहत प्रदान की गई थी और उसे धन शोधन व आतंकी वित्त पोषण मामलों पर निगरानी करने वाले इस 36 देशों की संस्था ने जून तक का समय दे दिया था।
वहीं खुद को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकाले जाने के लिए पाकिस्तान अपने आका चीन और तुर्की की शरण में चला गया है। इतना ही नहीं, वह मलेशिया से भी खुद की सहायता की अपील कर रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी खुद इन देशों के नेताओं से बात कर अपने लिए सहायता मांग रहे हैं। हालांकि, इन देशों ने बातचीत के बाद जारी बयान में एफएटीएफ का नाम नहीं लिया है।