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श्रीलंका के तट के पास डूबा आग लगने से तबाह हुआ जहाज, अब सामने है ये बड़ी दिक्कत

श्रीलंका ने गुरुवार को कहा कि रसायन ले जा रहा एक मालवाहक जहाज देश के तट के पास डूब गया और उसके मलबे को हटाने के प्रयासों में समुद्र के अशांत होने के चलते बाधा आ रही है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : June 17, 2021 22:03 IST
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Image Source : AP श्रीलंका ने गुरुवार को कहा कि रसायन ले जा रहा एक मालवाहक जहाज देश के तट के पास डूब गया।

कोलंबो: श्रीलंका ने गुरुवार को कहा कि रसायन ले जा रहा एक मालवाहक जहाज देश के तट के पास डूब गया और उसके मलबे को हटाने के प्रयासों में समुद्र के अशांत होने के चलते बाधा आ रही है। श्रीलंका के समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण की प्रमुख दर्शिनी लहन्दापुरा ने कहा, ‘फिलहाल पूरा जहाज डूब गया है और अगला चरण यह है कि हमें उसका मलबा हटाना है। अभी समुद्र बहुत अशांत है। ऐसे में हम अभी हम कुछ भी नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा कि जहाज के मालिकों ने वर्तमान मानसून मौसम की समाप्ति तक जहाज के मलबे की देखरेख करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित एक देखभाल कंपनी नियुक्त की है।

लहन्दापुरा ने कहा कि यदि कोई तेल फैला है और उससे कोई प्रदूषण हुआ है तो पूरे क्षेत्र की तब तक देखरेख इस कंपनी द्वारा की जाएगी जब तक कि इसके स्वामी मलबे को हटाने को लेकर कंपनी नियुक्त नहीं करते। जहाज के मालिकों ने एक बयान में इसकी पुष्टि की कि सिंगापुर के ध्वज वाले एक्स-प्रेस पर्ल का मलबा अब पूरी तरह समुद्र में 21 मीटर की गहराई में तलहटी पर बैठ गया है। बयान में कहा गया है कि किसी तरह के मलबे और तेल बिखरने की स्थिति से निपटने के लिए एक बचाव दल घटनास्थल पर मौजूद है। रसायनों और खतरनाक माल के 1,486 कंटेनरों के साथ मालवाहक जहाज 21 मई को आग की लपटों में घिर गया था।

श्रीलंकाई नौसेना, वायु सेना और भारतीय तटरक्षकों ने संयुक्त रूप से एक अभियान में आग पर काबू पाया, जिसमें कई दिन लगे। भारत ने 25 मई को श्रीलंकाई नौसेना को आग बुझाने में मदद करने के लिए भारतीय तटरक्षक बल के जहाजों और एक विमान को भेजा था। पर्यावरणीय क्षति पर, शीर्ष पर्यावरण संरक्षण अधिकारी सिरिपाला अमरसिंघे ने कहा कि अपशिष्ट सामग्री के लगभग 42 कंटेनर जो तटरेखा के साथ बिखरे हुए थे, उन्हें एकत्र किया गया है। जहाज से जुड़ी घटना के बाद से दर्जनों कछुओं की मौत होने पर एक सवाल का जवाब देते हुए अधिकारियों ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद उनकी मौत का कारण पता चलेगा।

पर्यावरण मंत्रालय के शीर्ष नौकरशाह अनिल जासिंघे ने कहा कि अनंतिम रूप से यह कहा जा सकता है कि कछुओं की मौत भीषण गर्मी और जहाज के आसपास जहरीले रसायनों की मौजूदगी के कारण हुई है।

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