नई दिल्ली: पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में रहता है या फिर इससे बाहर होगा इस बात पर फैसला जल्द ही हो जाएगा। इसे लेकर इमरान सरकार की टेंशन भी बढ़ी हुई है। अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर होता है तो ये इमरान सरकार के लिए राहत की बात होगी वहीं अगर पाकिस्तान को इसमें नाकामी मिलती है तो फिर इमरान खान की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। हालांकि दिल्ली की ओर से इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि आतंकवाद पर फंडिंग को लेकर पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाए। FATF ग्लोबल फाइनांसिंग वाचडॉग का सत्र सोमवार से शुरू होनेवाला है। इस वैश्विक नेटवर्क के 205 सदस्यों की वर्चुअल मीटिंग होनेवाली है जिसमें पाकिस्तान के भविष्य को लेकर भी चर्चा होगी कि उसे ग्रे लिस्ट में ही रखा जाता है या फिर उससे बाहर किया जाएगा। इस बैठक के नतीजे 25 जून को सामने आएंगे।
तीन साल पहले पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में शामिल किया गा था और टेरर फंडिंग पर रोक लगाने के लिए 17 बिंदुओं के एक्शन प्लान पर कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। तीन साल बाद भी पाकिस्तान ग्रेलिस्ट में है। FATF की वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को लेकर उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाएगी और उसके बाद फैसला लिया जाएगा कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रहता है या फिर उसे बाहर किया जाता है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को लगातार समर्थन दिया जाता रहा है। इस बात के अनेक प्रमाण सामने आने के बाद FATF ने ग्रे लिस्ट में शामिल कर दिया था। कश्मीर और अफगानिस्तान में पाकिस्तान प्रत्य़क्ष तौर पर आतंकी गतिविधियों को समर्थन देता रहा है। पाकिस्तान में लश्कर और जैश जैसे आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप हैं।