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पीरियड के दौरान यहां महिलाओं को माने है अछूत, पिलाते हैं गौमूत्र

हम बात कर रहे हैं नेपाल की एक ऐसी प्रथा की जिसका आज के आधुनिक समाज में कोई मतलब ही नहीं है, लेकिन फिर भी यहा के लोग इस प्रथा को पूरी श्रद्धा से निभाते हैं।

India TV News Desk
Published on: May 09, 2017 13:19 IST
During periods women are treated as untouchables- India TV Hindi
During periods women are treated as untouchables

दुनिया में कई ऐसे रिति-रिवाज है जो कई वर्षों से चले आ रहे हैं। लोग आज भी इन रिति-रिवाजों का पालन करते हैं और इन्हें पूरा ना कर पाने के चलते इसे अपशगुन माना जाता है। ऐसी ही एक प्रथा के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप भी चौंके बिना नहीं रह पाएंगे। हम बात कर रहे हैं नेपाल की एक ऐसी प्रथा की जिसका आज के आधुनिक समाज में कोई मतलब ही नहीं है, लेकिन फिर भी यहा के लोग इस प्रथा को पूरी श्रद्धा से निभाते हैं। (... तो इस कारण महिलाओं को दी जा रही है खड़े होकर पेशाब करने की ट्रेनिंग)

महिलाओं को सोना पड़ता है घर से बाहर

नेपाल के एक इलाका ऐसा है जहां पर पीरियड के दौरान महिलाओं को अपने घर को छोड़ना पड़ता है। इस प्रथा का नाम छौपाड़ी है इस प्रथा के अनुसार पीरियड के दौरान महिलाएं गंदी हो जाती है। एक पत्रिका की खबर के अनुसार, इश्वरी जोशी नाम की लड़की ने बताया कि जब वह 15 साल की थी तो उसे पहली बार पीरियड आया। उसे 9 दिन घर से बाहर रहना पड़ा। वह बाहर में ही सोती भी थी। धमीलेख नाम के इस गांव में करीब 100 परिवार रहते हैं यहां लोगों ने कुछ ऐसी झोपड़ियां बना रखी है जहां पर महिलाओं को पीरियड के दौरान सोने के लिए भेजा जाता है। इन झोपड़ियों में महिलाओं को बहुत कम चीजें ही मिलती हैं और कभी-कभी इन झोपड़ियों को कई महिलाएं शेयर भी करती हैं।

गाय का पेशाब पीने से होती हैं शुद्ध
इन झोपड़ियों में रहने वाली महिलाओं को खाना तो खाना बनाने दिया जाता है और ना ही ये महिलाएं घर के किसी भी सामान को छू सकती हैं। इस दौरान महिलाओं को उनके अलग बर्तन दिए जाते हैं, जिसमें वह खाना खाती हैं, और न ही नहाने के लिए गांव के पानी को इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाती है। इश्वरी की साथी निर्मला कहती हैं- 'ऐसा कहा जाता है कि अगर पीरियड के दौरान कोई महिला गाय को छू दे तो गाय दूध नहीं देगी।' चार दिन झोपड़ियों में रहने के बाद महिलाओं को नहाने के लिए कहा जाता है और उन्हें गाय के पेशाब को पीकर और, उसे कपड़ो पर छिड़ककर शुद्ध होना पड़ता है। इसके बाद ही वे अपने घरों में सामान्य जिंदगी के लिए लौट सकती हैं। आपको बता दें कि नेपाल में ही नहीं बल्कि भारत के कुछ पहाड़ी इलाकों में भी इस प्रथा को माना जाता है और बड़े ही सख्त नियमों से इसका पालन किया जाता है।

 

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