बीजिंग: डोमिनिकन रिपब्लिक ने आज घोषणा की कि वह चीन के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित कर रहा है जबकि चीन के बढ़ते दबदबे के मद्देनजर उसने ताइवान से अपने संबंध तोड़ लिए हैं। ताइवान ने कहा कि वह संबंध तोड़ने के फैसले से ‘‘ बहुत परेशान ’’ है क्योंकि यह द्वीप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग - थलग पड़ गया है और उसका शक्तिशाली पड़ोसी देश वैश्विक स्तर पर अपनी आर्थिक और राजनीतिक शक्ति बढ़ा रहा है। एक आधिकारिक बयान में डोमिनिकन रिपब्लिक ने कहा कि उसका मानना है कि चीन से संबंध कायम करना ‘‘ हमारे देश के भविष्य के लिए अत्यधिक सकारात्मक ’’ होगा। बयान में कहा गया है , ‘‘ डोमिनिकन रिपब्लिक यह जानता है कि दुनिया में केवल एक चीन है और ताइवान चीनी क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा है। ’’ (उ. कोरिया के परमाणु हथियारों से छुटकारा पाने के इतना करीब कभी नहीं पहुंचा अमेरिका: ट्रंप )
चीन ने आज सुबह घोषणा की कि दोनों देश ‘‘ जल्द से जल्द ’’ राजदूतों का आदान - प्रदान करेंगे। एक आपात संवाददाता सम्मेलन में ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वु ने कहा कि सरकार को ‘’ बहुत दुख है कि डोमिनिकन रिपब्लिक और चीन ने एक मई को संबंध स्थापित किए। ’’ वु ने कहा कि मंत्रालय ‘‘ ताइवान के कूटनीतिक सहयोगियों को बदलने के लिए डॉलर कूटनीति के इस्तेमाल पर चीन के आपत्तिजनक कदम की कड़ी निंदा ’’ करता है। उन्होंने डोमिनिकन रिपब्लिक के साथ 77 वर्ष के गठबंधन के खत्म होने के लिए चीन के वित्तीय फायदों को जिम्मेदार ठहराया। चीन और ताइवान वर्ष 1949 से अलग - अलग शासन कर रहे हैं लेकिन लोकतांत्रिक ताइवान अपने आप को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है लेकिन उसने औपचारिक रूप से अपने आप को कभी स्वतंत्र घोषित नहीं किया। दूसरी ओर चीन , ताइवान को अपना हिस्सा मानता है।
दुनियाभर में अब केवल 19 देश बचे हैं जिनके ताइवान के साथ आधिकारिक संबंध हैं। पिछले साल जून में पनामा ने चीन से संबंध स्थापित करने के लिए ताइवान से अपने संबंध तोड़ दिए थे। कोस्टा रिका ने भी साल 2007 में ऐसा ही किया था। ताइवान के विदेश मंत्री ने कहा कि डोमिनिकन रिपब्लिकन के साथ सभी सहायता और सहयोग तुरंत खत्म किया जाएगा और दूतावास के कर्मचारियों को स्वेदश भेजा जाएगा।