नई दिल्ली: चीन के साथ जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय रूस यात्रा पर मॉस्को पहुंच गए हैं। इस दौरान वह समय पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली उपलब्ध कराने तथा द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने के तौर-तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं। राजनाथ रूस के उच्च सैन्य अधिकारियों के साथ वार्ता करेंगे और द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत विजय की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 24 जून को मॉस्को में आयोजित भव्य सैन्य परेड में शामिल होंगे। माना जाता है कि रक्षा मंत्री इस दौरान रूस के नेताओं के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य तथा समूचे रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा कर सकते हैं।
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विदेश यात्रा पर प्रतिबंध के बाद चार महीने में किसी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री की यह पहली विदेश यात्रा है। अधिकारियों ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते सभी निर्धारित सावधानियों का पालन करते हुए सिंह भारतीय वायुसेना के एक विमान से रवाना हुए। रक्षा मंत्री की रूस यात्रा ऐसे समय हो रही है जब लद्दाख में चीन के साथ भारत का गतिरोध बरकरार है, खासकर तब जब पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के वीरगति को प्राप्त होने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। रूस दोनों देशों के बीच तनाव को लेकर भारत और चीन के संपर्क में है। अधिकारियों ने मॉस्को में सिंह की बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना से इनकार नहीं किया है।
रूस रवाना होने से पहले सिंह ने ट्वीट किया, “तीन दिवसीय यात्रा पर मॉस्को रवाना हो रहा हूं। यह यात्रा भारत-रूस रक्षा और सामरिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बातचीत का अवसर देगी। मुझे मास्को में 75वीं विजय दिवस परेड में भी शामिल होना है।” अधिकारियों ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर तनाव होने के बावजूद सिंह ने रूस की यात्रा स्थगित नहीं की क्योंकि रूस के साथ भारत के दशकों पुराने सैन्य संबंध हैं। उन्होंने कहा कि सिंह रूसी सैन्य अधिकारियों के साथ अपनी बातचीत में एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली समय पर उपलब्ध कराए जाने का आग्रह कर सकते हैं।
रूस के मिशन उप प्रमुख रोमन बाबुशकिन ने हाल में पीटीआई-भाषा से कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के चलते एस-400 सहित सैन्य करारों के क्रियान्वयन में कुछ विलंब हो सकता है। भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की ट्रंप प्रशासन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए अक्टूबर 2018 में एस-400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के करार पर दस्तखत किए थे। भारत ने मिसाइल प्रणाली के लिए पिछले साल रूस को लगभग 80 करोड़ डॉलर की किस्त का पहला भुगतान किया था। मॉस्को को अगले साल की दूसरी छमाही में प्रणाली उपलब्ध कराने की शुरुआत करनी थी।
भारत को अस्त्रों और गोला-बारूद की आपूर्ति करने वालों में रूस एक महत्ववपूर्ण देश रहा है। हालांकि, सशस्त्र बलों की लंबे समय से शिकायत रही है कि रूस से महत्वपूर्ण उपकरणों की आपूर्ति में काफी समय लगता है और इससे रूस से खरीदी गईं सैन्य प्रणालियों के रखरखाव पर असर पड़ता है। भारतीय सेना के तीनों अंगों का 75 सदस्यीय एक दस्ता परेड में हिस्सा लेने पहले ही मॉस्को पहुंच चुका है जो चीन सहित कम से कम 11 देशों के सशस्त्र बलों के कर्मियों के साथ परेड में भागीदारी करेगा।