इस्लामाबाद: पाकिस्तान के एक अग्रणी अखबार ने सोमवार को चेताया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव के खतरे बढ़ते जा रहे हैं। अखबार ने यह चेतावनी तब दी है कि जब भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पिछले दिनों कहा था कि अगर सरकार कहे तो थलसेना पाकिस्तान के ‘परमाणु झांसों’ को धता बताने और किसी भी अभियान के लिए सीमा पार जाने के लिए तैयार है। जनरल रावत ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की थी। उनसे सवाल किया गया था कि यदि सीमा पर हालात बिगड़ते हैं तो पाकिस्तान की ओर से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की क्या संभावना है।
रावत ने कहा था, ‘अगर हमें वाकई पाकिस्तानियों का सामना करना पड़ा और हमें ऐसा काम सौंपा गया तो हम यह नहीं कहने वाले कि उनके पास परमाणु हथियार होने के कारण हम सीमा नहीं पार कर सकते। हमें परमाणु हथियारों के बाबत उनके झांसों को धता बताना होगा।’ ‘डॉन’ अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि ‘परमाणु झांसों’ को धता बताने के विचार पर दक्षिण एशिया के सभी समझदार और सही तरीके से सोचने वाले लोगों को जरा थमकर सोचना चाहिए। अखबार ने कहा, ‘थलसेना प्रमुख यह कहते नजर आ रहे हैं कि ‘कोल्ड स्टार्ट’ की नीति पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा बन चुकी है, ऐसे में पाकिस्तान एवं भारत के बीच आम टकराव के खतरे बढ़ते जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करना युद्ध की एक कार्रवाई होती है और पाकिस्तान के पास फिर पलटवार करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचेगा।’
अखबार के मुताबिक, पाकिस्तान से संभावित युद्ध के लिए भारतीय थलसेना ने ‘कोल्ड स्टार्ट’ नीति विकसित की थी। इस नीति में थलसेना की विभिन्न शाखाएं शामिल हैं जो एकीकृत लड़ाई समूहों के तहत आक्रामक अभियान चलाती हैं। इस नीति का मकसद भारत के परंपरागत बलों को हमले की अनुमति देना है ताकि किसी टकराव की सूरत में पाकिस्तान को परमाणु हथियारों के जरिए पलटवार से रोका जा सके। अखबार ने कहा, ‘शुरुआत से ही ‘कोल्ड स्टार्ट’ के तर्क में पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु टकराव के जोखिम को बढ़ाने के खतरे शामिल रहे हैं, फिर भी कई साल तक इसके वजूद में होने से इनकार कर भारत ने इसे जारी रखा है।’ ‘डॉन’ ने कहा कि जनरल रावत की ‘परेशान करने वाली टिप्पणियों’ ने पाकिस्तान-भारत के रिश्तों की गंभीर हालत को रेखांकित किया है।
अखबार ने कहा कि दोनों देशों के राजनीतिक माहौल संकेत देते हैं कि द्विपक्षीय संबंध बहुत से बहुत जस के तस बने रह सकते हैं या और बिगड़ सकते हैं। संपादकीय के मुताबिक, ‘निश्चित तौर पर यह उन लोगों के लिए उम्मीद पैदा करने वाला वक्त नहीं है जो चाहते हैं कि पाकिस्तान और भारत के रिश्ते सामान्य हो जाएं।’ अखबार ने कहा कि बैंकॉक में भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की हालिया बैठक संकेत देती है कि दोनों देशों को पता है कि संवाद पूरी तरह खत्म हो जाना किसी के हित में नहीं है।