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मालदीव: सुप्रीम कोर्ट ने दिया यामीन को एक और झटका, आदेश का पालन करने को कहा

मालदीव के उच्चतम न्यायालय ने मुश्किलों में घिरे राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को आज एक और झटका दिया।

Edited by: India TV News Desk
Published on: February 05, 2018 6:43 IST
crisis in the Maldives deepened the court asked Yameen to...- India TV Hindi
crisis in the Maldives deepened the court asked Yameen to follow the order

माले: मालदीव के उच्चतम न्यायालय ने मुश्किलों में घिरे राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को आज एक और झटका दिया। शीर्ष अदालत ने उनसे नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और असंतुष्ट सांसदों को बहाल करने के अपने आदेश का पालन करने को कहा। सरकार ने न्यायिक आदेश को लेकर चिंता जताई थी और इसका पालन करने का विरोध किया था। हालांकि, अदालत ने कहा कि कोई बहाना नहीं हो सकता है। उच्चतम न्यायालय ने एक वक्तव्य में कहा कि असंतुष्टों को अवश्य रिहा किया जाना चाहिये क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमा राजनीति से प्रेरित और त्रुटिपूर्ण था। न्यायालय ने कहा, ‘‘आदेश का पालन हो जाने और कैदियों को रिहा कर दिये जाने के बाद उनके खिलाफ दोबारा मुकदमा चलाने से महाभियोजक को कुछ भी नहीं रोकता है।’’ (शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर आए अमेरिका, हमारी सैन्य ताकत को कम न समझे: चीन )

12 सांसदों को बहाल करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश से यामीन की पार्टी अल्पमत में हो जाएगी और उनपर महाभियोग का खतरा मंडरा सकता है। ये सांसद सत्ता पक्ष से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे। इस बीच, पुलिस ने आज दो विपक्षी सांसदों को गिरफ्तार कर लिया जो आज स्वदेश लौटे थे। इस द्वीपीय देश में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने कहा कि इसके सांसदों ने संसद को निलंबित करने के सप्ताहांत के एक आदेश की अवज्ञा में एक बैठक करने की कोशिश की लेकिन सशस्त्र बलों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। राष्ट्रीय संसद ‘पीपुल्स मजलिस’ के अंदर पिछले साल मार्च से सशस्त्र बल तैनात हैं जब यामीन ने उन्हें अंसतुष्ट सांसदों को निकालने का आदेश दिया था। असंतुष्टों के खिलाफ राष्ट्रपति की कार्रवाई से इस छोटे से पर्यटक द्वीपसमूह की छवि को खासा नुकसान पहुंचा है। संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने अनुभवहीन लोकतंत्र में विधि के शासन को बहाल करने की अपील की थी।

गुरुवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने अधिकारियों को नौ राजनीतिक असंतुष्टों की रिहाई और उन 12 सांसदों की फिर से बहाली का आदेश दिया था जिन्हें यामीन की पार्टी से अलग होने के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। अदालत ने कहा था कि ये मामले राजनीति से प्रेरित थे। यामीन सरकार ने अब तक संसद को भंग करने और अदालती आदेश के अनुपालन के अंतरराष्ट्रीय आह्वान को खारिज किया है। रविवार को राष्ट्रीय टेलीविजन पर दिये गये अपने संदेश में अटॉर्नी जनरल मोहम्मद अनिल ने कहा कि सरकार इसे नहीं मानती। अनिल ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला असंवैधानिक और अवैध होगा। इसलिये मैंने पुलिस और सेना से कहा है कि किसी भी असंवैधानिक आदेश का अनुपालन न करें।’’

यामीन ने अदालत के फैसले के बाद दो पुलिस प्रमुखों को भी बर्खास्त कर दिया। श्रीलंका और मालदीव के लिये अमेरिकी राजदूत अतुल केशप ने अदालत के आदेश का पालन करने से मना करने के लिये यामीन सरकार की आलोचना की। पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने के सरकार के फैसले को ‘बगावत’ करार दिया।

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