बीजिंग: भारत की योजना जल्द ही पांच हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली और परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अंतर-महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) अग्नि-5 का परीक्षण करने की है। इससे संबंधित मीडिया में आई खबरों पर चीन ने प्रतिक्रिया दी है। चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि दक्षिण एशिया के सभी देशों को क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए। अग्नि-5 का परीक्षण करने के बारे में भारत की योजना से संबंधित खबरों के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखने से सभी के साझा हित पूरे होंगे, जहां चीन को उम्मीद है कि सभी पक्ष रचनात्मक प्रयास करेंगे।’’
पांच हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइल चीन के कई शहरों तक पहुंच सकती है और इससे भारत की सैन्य शक्ति में महत्वपूर्ण रूप से मजबूती आने की उम्मीद है। परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का पहले भी पांच बार सफल परीक्षण हो चुका है और इसे सेना में शामिल किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और उत्तर कोरिया जैसे कुछ ही देशों के पास अंतर-महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल है। लिजान ने कहा, ‘‘क्या भारत परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम बैलेस्टिक मिसाइलों का विकास कर सकता है, इस बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1172 में पहले ही स्पष्ट नियम हैं।’’
सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 1172 भारत और पाकिस्तान द्वारा 1998 में किए गए परमाणु परीक्षण से संबंधित है। प्रस्ताव में भारत और पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण की निंदा की गई थी तथा दोनों देशों से और परमाणु परीक्षणों से परहेज करने को कहा गया था। इसमें दोनों देशों से परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम बैलेस्टिक मिसाइलों का विकास रोकने का आग्रह भी किया गया था। चीन ने भारत द्वारा अग्नि-5 के पूर्व में किए गए परीक्षणों पर भी इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
दरअसल, भारत की अग्नि-5 मिसाइल की पहुंच में पूरा चीन है। इसलिए भारत की अग्नि-5 मिसाइल चीन के लिए चिंता का विषय है। यह मिसाइल बेहद शक्तिशाली है, और 5,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है। यह भारत की लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों में से एक है। अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल कई हथियार एक साथ ले जाने में सक्षम है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बनाया है।
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