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जानिए कितनी कोरोना दवाओं पर चल रहा है काम, WHO ने कहा- कोरोना वायरस टीके को वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद बनाएं

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ताजा आंकड़ों के अनुसार अभी दुनिया में कोरोना वायरस के 140 से अधिक टीकों का अनुसंधान हो रहा है, जिनमें 28 का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हो चुका है। इन 28 टीकों में 6 का क्लिनिकल परीक्षण अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 16, 2020 23:06 IST
Coronavirus vaccine latest update news in Hindi- India TV Hindi
Image Source : AP Coronavirus vaccine latest update news in Hindi

बीजिंग। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ताजा आंकड़ों के अनुसार अभी दुनिया में कोरोना वायरस के 140 से अधिक टीकों का अनुसंधान हो रहा है, जिनमें 28 का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हो चुका है। इन 28 टीकों में 6 का क्लिनिकल परीक्षण अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के टीके का अनुसंधान सरपट दौड़ रहा है। अब क्लिनिकल परीक्षण में तमाम उपलब्धियां हासिल हो रही हैं। रूस ने स्पुतनकि-5 नामक टीके का उत्पादन पूरा किया, जो दुनिया में पहली कोरोना वायरस वैक्सीन है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने हाल में कहा कि उनकी बेटी ने यह टीका लगाया है। वहीं डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अब इस टीके की विश्वसनीयता साबित नहीं हुई है।

इसके बावजूद करीब 20 देश स्पुतनकि-5 वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं या इसके उत्पादन और बिक्री में सहयोग करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में आशा जताई कि रूस का टीका कारगर होगा। अमेरिका भी शीघ्र ही अपना टीका लांच करेगा। उधर, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा कि भारत के तीन टीके भिन्न-भिन्न परीक्षणों में प्रवेश हो चुके हैं। विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा इसकी सुरक्षा साबित करने पर ये टीके बाजार में आएंगे।

चीन की दृष्टि से देखा जाए, चीनी सैन्य विज्ञान अकादमी के बायोइंजिनियरी संस्थान और चीनी कंपनी केसिनो बायोलॉजिक्स द्वारा संयुक्त रूप से विकसित टीके को पेटेंट राइट मिल चुका है। यह चीन का पहला कोरोना वायरस टीके का एकाधिकार है। इसके पहले और दूसरे क्लिनिकल परीक्षण में टीके की सुरक्षा और कारगरता साबित हुई है। अब चीनी टीके के तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण हो रहा है।

वहीं चीनी राष्ट्रीय औषधि समूह निगम के वुहान जैविक उत्पाद संस्थान और चीनी विज्ञान अकादमी के वुहान वायरस अनुसंधान संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित टीके की सुरक्षा और कारगरता भी साबित हो चुकी है। आशा है कि चीन के टीके इस साल के अंत में या अगले साल के शुरू में बाजार में मिलेंगे।

हम जानते हैं कि वैक्सीन कोविड-19 महामारी की रोकथाम में सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद है, लेकिन टीके का अनुसंधान लंबा, जटिल और खतरे से भरा है। दुनिया को विभिन्न प्रकार के टीकों की जरूरत है, ताकि महामारी की सफल रोकथाम में ज्यादा अवसर मिल सके। यह निश्चित है कि टीके का अनुसंधान पूरा होने के बाद मांग अवश्य ही आपूर्ति से अधिक होगी। इसलिए दुनिया के एकजुट होने और सार्वजनिक विभागों की भागीदारी होने पर ही टीके का उचित वितरण सुनिश्चित होगा।

चीन में कोरोना वैक्सीन Ad5-nCoV को मिला पेटेंट

 
रूस की कोरोना वैक्सीन Sputnik V को लेकर अभी चर्चा खत्म भी नहीं हुई है कि चीन ने भी वैक्सीन को लेकर एक खुशखबरी दे दी है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केसिनो बायोलॉजिक्स इंक की कोरोना वैक्सीन Ad5-nCoV को पेटेंट मिल गया है। यह जानकारी नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी एडमिनिस्ट्रेशन ने दी है। जानकारी के मुताबिक, वैक्सीन के पेटेंट के लिए 18 मार्च को ही अनुरोध किया गया था, लेकिन 11 अगस्त को इसकी मंजूरी मिली है। इस वैक्सीन को चीनी सेना और केसिनो बायोलॉजिक्स कंपनी ने मिलकर तैयार किया है। 

चीनी विशेषज्ञों का दावा है कि वह सुरक्षित और प्रभावी तरीके से और बहुत तेजी से कोरोना की वैक्सीन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक वैक्सीन लॉन्च हो सकती है यानी यह बाजार में आ सकती है।  फिलहाल चीन की इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल दुनिया के कई देशों में चल रहा है। चीन का कहना है कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन की प्रभावी क्षमता का आकलन किया जाएगा। अगर यह सफल रहती है तो इसे बाजार में उतार दिया जाएगा। हालांकि खबरों की मानें तो चीन ने अपने सैनिकों को कोरोना का टीका लगाना शुरू भी कर दिया है। 

कैन्सिनो की वैक्सीन के अलावा चीन की एक और वैक्सीन को भी सफलता मिली है। दवा कंपनी सिनोफार्म की बनाई वैक्सीन अपने शुरुआती और मध्य चरण के ट्रायल में असरदार और सुरक्षित पाई गई है। चीनी वैज्ञानिकों की मानें तो इसके इस्तेमाल से इम्यून रिस्पॉन्स में एंटीबॉडी पैदा हुई हैं। ये नतीजे 320 स्वस्थ्य लोगों पर किए गए पहले और दूसरे चरण के ट्रायल के हैं। जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सिनोफार्म की वैक्सीन के इस्तेमाल से कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं पाया गया है। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एंटीबॉडी कितनी मात्रा में बनी है और यह कोरोना संक्रमण से बचा सकती है या नहीं।   

(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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