लाहौर: पाकिस्तान सरकार ने पंजाब प्रांत में गुरुद्वारा पंजा साहिब में 14 अप्रैल से होने वाला बैसाखी महोत्सव रद्द कर दिया है। इस महोत्सव में भारत से करीब 2,000 सिख शामिल होने थे। पाकिस्तान सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर यह फैसला किया है। यह जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी। पाकिस्तान में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सोमवार को बढ़कर 3,277 हो गए। वहीं इससे सबसे अधिक प्रभावित पंजाब प्रांत में मामले 1,500 के करीब पहुंच गए हैं। निष्क्रांत संपत्ति न्यास बोर्ड (ईटीपीबी) के प्रवक्ता मीर हाशमी ने पीटीआई को बताया, ‘‘सरकार ने कोरोना वायरस की वजह से क्रमश: अप्रैल और मई में होने वाले ‘बैसाखी’ और ‘साधु बेला’ समारोहों को रद्द कर दिया है।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार बैसाखी त्योहार के लिए भारतीय सिखों को 2,000 से अधिक वीजा जारी करने वाली थी, लेकिन उसने महामारी के कारण प्रक्रिया को रोक दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘गुरुद्वारा हसन अब्दाल के प्रबंधन को भी निर्देश जारी किए गए हैं कि वह बैसाखी त्योहारों के लिए इसे स्थानीय सिखों के लिए भी न खोलें।" बैसाखी एक प्राचीन त्योहार है जो एक नयी फसल की कटाई की शुरुआत का प्रतीक है। यह 12 अप्रैल को यहां शुरू होने वाला था और मुख्य कार्यक्रम 14 अप्रैल को पंजाब प्रांत के हसन अब्दल शहर के गुरुद्वारे में आयोजित किया जाना था। भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों के तीर्थयात्रियों के अलावा हजारों स्थानीय सिख हर साल इसमें शामिल होते हैं।
ईटीपीबी देश में अल्पसंख्यक समुदाय के पवित्र स्थानों की देखभाल करता है। गुरुद्वारा पंजा साहिब में एक स्थान पर सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव के हाथ का निशान है। 2019 में, बैसाखी मनाने के लिए भारत से 2,200 से अधिक सिख पाकिस्तान गए थे। ईटीपीबी के अध्यक्ष अमीर अहमद ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर सभी उपासना स्थल 14 अप्रैल तक बंद रहेंगे। उन्होंने कहा कि ईटीपीबी ने सभी अल्पसंख्यक पूजा स्थलों में कोरोना वायरस रोधी स्प्रे कराना सुनिश्चित किया है। बोर्ड ने यह भी कहा कि इस साल सिंध के सुक्कुर में 'साधु बेला महोत्सव' भी इस वायरस के कारण मई में आयोजित नहीं किया जाएगा। ईटीपीबी के प्रवक्ता ने कहा, "हर साल लगभग 100 भारतीय हिंदू और स्थानीय तीर्थयात्री इस महोत्सव में भाग लेते हैं, लेकिन सरकार ने कोरोना वायरस के कारण इसे रद्द करने का फैसला किया है।" पिछले साल करीब 2,200 भारतीय सिख और लगभग 100 भारतीय हिंदू बैसाखी और साधु बेला महात्सवों में शामिल हुए थे।