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पाकिस्तान में ईसाई बच्ची को पहले किया किडनैप, फिर धर्मपरिवर्तन के बाद जबरन निकाह

लगभग 8 महीने तक जहन्नुम की सारी यातनाएं के बाद फरवरी 2016 में यह बच्ची किसी तरह वहां से आजाद हुई।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 10, 2021 17:01 IST
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Image Source : AP REPRESENTATIONAL पाकिस्तान में हर साल ईसाई, हिंदू और सिख धर्म से ताल्लुक रखने वाली सैकड़ों लड़कियों को इस अत्याचार को झेलना पड़ता है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। बीबीसी की एक खबर के मुताबिक, पाकिस्तान में 12 साल की एक ईसाई बच्ची का न सिर्फ अपहरण किया गया, बल्कि उसका धर्मपरिवर्तन कराकर जबरन निकाह भी कर दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में हर साल ईसाई, हिंदू और सिख धर्म से ताल्लुक रखने वाली सैकड़ों लड़कियों और महिलाओं के साथ इसी तरह का अत्याचार होता है, और प्रशासन भी इन घटनाओं से आंखें मूंदे रहता है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 25 जून को इस ईसाई बच्ची का अपहरण हुआ था।

दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी और...

बच्ची ने बताया कि वह 25 जून 2020 को फैसलाबाद स्थित अपने घर में अपने दादा, तीन भाइयों और दो बहनों के साथ घर पर थी कि तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी। लड़की ने बताया कि उसे अच्छी तरह याद है कि उसके दादा दरवाजे को खोलने के लिए गए और अचानक 3 लोग घर में घुस आए। उन्होंने फराह को उठाया और वैन में डालकर वहां से चलते बने। सिर्फ इतना ही नहीं, जाते-जाते उन्होंने परिवार को धमकाने के अंदाज में कहा कि यदि उन लोगों ने अपनी बच्ची को वापस पाने की कोशिश भी की तो उन्हें पछताना पड़ेगा।

'पुलिस ने भी नहीं की कोई मदद'
बच्ची के पिता रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए पास के पुलिस स्टेशन गए, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली। तीन महीने तक थाने के चक्कर काटने के बाद रिपोर्ट दर्ज तो हुई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। इस दौरान वह बच्ची लगभग 100 किलोमीटर दूर हाफिजाबाद पहुंच चुकी थी, जहां उसके साथ बलात्कार किया गया, जंजीरों में जकड़ा गया और गुलामों की तरह सलूक किया गया। अपने साथ हुए अत्याचारों को याद करके वह बच्ची सिहर उठती है। उसने कहा, मुझे रस्सियों और जंजीरों से बांधकर रखा जाता था और बहुत ज्यादा काम करवाया जाता था।

8 महीने तक जहन्नुम में रहने के बाद आजाद हुई बच्ची
लगभग 8 महीने तक जहन्नुम की सारी यातनाएं के बाद फरवरी 2016 में यह बच्ची किसी तरह वहां से आजाद हुई। इस मामले में अदालत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। फैसलाबाद डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशंस कोर्ट ने पहले बच्ची को महिलाओं एवं बच्चों के शेल्टर में भेज दिया और मामले की जांच चलती रही। काफी उतार-चढ़ाव के बाद आखिरकार अदालत ने बच्ची की शादी को नाजायज ठहरा दिया, और बच्ची एक बार फिर अपने परिवार के साथ मिल पाई।

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