बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली मुलाकात के बीच, चीन के एक सरकारी अखबार ने कहा है कि चीन को घेरने के लिए अमेरिका का सहयोगी बनने का भारत का प्रयास उसके हित में नहीं होगा और इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया कि वॉशिंगटन और दिल्ली चीन के उदय को लेकर चिंताएं साझा करते हैं। हाल के वर्षों में, चीन पर भूराजनीतिक दबाव बढाने के लिए अमेरिका ने भारत से दोस्ती बढाई है। इसमें रेखांकित किया गया कि भारत जापान या ऑस्ट्रेलिया जैसा अमेरिकी सहयोगी देश नहीं है।
लेख में कहा गया कि चीन को घेरने की अमेरिकी रणनीति में दूर की चौकी जैसे देश की भूमिका निभाना भारत के हित के अनुसार नहीं है। इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
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अखबार में कहा गया कि अगर भारत अपने निर्गुट रूख से पीछे हटता है और चीन को घेरने में अमेरिका का प्यादा बनता है तो वह रणनीतिक असमंजस में फंस जाएगा और दक्षिण एशिया में नई भूराजनीतिक स्थितियां पैदा हो जाएंगी।
गौरतलब है कि चीन और दक्षिण चीन सागर के विवाद के संदर्भ में मोदी और ट्रंप ने व्हाटस हाउस में मुलाकात के बाद नौवहन की आजादी और अंतरराष्ट्रीय विधि के अनुरूप शांतिपूर्ण ढंग से क्षेत्रीय एवं समुद्री विवादों के निपटारे का आह्वान किया था।