बीजिंग: चीन ने दावा किया है कि उसका अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह पर उतर गया है। यह अंतरिक्ष यान अपने साथ एक रोवर को लेकर गया है जो मंगल ग्रह के सतह और वहां के वातारण की जांच करेगा। चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) ने इसकी यान के मंगल ग्रह पर उतरने की पुष्टि की है। तियानवेन-1 (Tianwen-1) नाम के इस यान को चीन ने 23 जुलाई 2020 को लॉन्च किया था। तियानवेन-1 यान मे एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल है। मंगल पर खोज अभियान के सिलसिले में यह चीन की बड़ी उपलब्धि है।
यह यान 24 फरवरी को मंगल के ऊपर एक पूर्व निर्धारित कक्षा में प्रवेश कर गया था और तीन महीने तक कक्षा की परिक्रमा के बाद अपने लैंडिंग कैप्सूल को छोड़ा और वह सफलता पूर्वक लैंड कर गया है। इससे पहले चीन ने तियानवेन-1 प्रोब यान से ली गयी मंगल की तस्वीरें प्रकाशित की थी। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) ने कहा है कि ‘हाई रिजोल्यूशन’ वाली इन तस्वीरों में दो ‘पैन्क्रोमैटिक व्यू’ वाली और एक रंगीन तस्वीर थी। चीन के अंतरिक्ष यान तियानवेन-1 के हाई रिजोल्यूशन कैमरे से मंगल की सतह से करीब 330 से 350 किलोमीटर की दूरी से ये पैन्क्रोमैटिक तस्वीरें ली गयीं थी।
रोवर का वजन करीब 240 किलोग्राम
मंगल ग्रह पर पहुंचने वाले रोवर का वजन करीब 240 किलोग्राम है, उसमें छह पहिए और चार सौर पैनल हैं तथा वह प्रति घंटे 200 मीटर तक घूम सकता है। इसमें छह वैज्ञानिक उपकरण हैं जिनमें बहु-वर्णीय कैमरा, रडार और एक मौसम संबंधी मापक है। इसके मंगल ग्रह पर करीब तीन महीने तक काम करने की संभावना है। संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और चीन के अंतरिक्ष यानों ने हाल ही में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया। नासा का परसीवरेंस रोवर करीब सात महीने की यात्रा के बाद 18 फरवरी को मंगल ग्रह पर पहुंचा था। इससे पहले अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ तथा भारत को मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजने में कामयाबी मिल चुकी है। भारत 2014 में मंगल ग्रह की कक्षा में अपना अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक भेजने वाला पहला एशियाई देश बना था।
इनपुट-पीटीआई