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एक देश की सफलता का मतलब दूसरे की विफलता नहीं, विवादों को बातचीत से सुलझाएं: शी जिनपिंग

शी ने अपने भाषण में कहा, ‘‘एक देश की सफलता का मतलब दूसरे देश की विफलता नहीं है। दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है।’’

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 22, 2021 17:00 IST
एक देश की सफलता का मतलब दूसरे की विफलता नहीं, विवादों को बातचीत से सुलझाएं: शी जिनपिंग- India TV Hindi
Image Source : AP/FILE एक देश की सफलता का मतलब दूसरे की विफलता नहीं, विवादों को बातचीत से सुलझाएं: शी जिनपिंग

न्यूयार्क: अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को अपने देश की बहुपक्षवाद की दीर्घकालिक नीति दोहरायी और संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं से कहा कि देशों के बीच विवादों को ‘‘बातचीत और सहयोग के माध्यम से सुलझाने की आवश्यकता है।’’ शी की इस टिप्पणी से कुछ घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि उनका ‘‘एक नया शीत युद्ध’’ शुरू करने का कोई इरादा नहीं है। वहीं संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनिया गुतारेस ने पहले कहा था वाशिंगटन और बीजिंग दोनों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके मतभेद और तनाव उनके 42 साल पुराने रिश्ते को पटरी से नहीं उतारें। 

शी ने रिकॉर्ड किये गए भाषण में कहा, ‘‘एक देश की सफलता का मतलब दूसरे देश की विफलता नहीं है। दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है।’’ चीन अक्सर बहुपक्षवाद का उपदेश देता है, हालांकि इसके आलोचकों का कहना है कि ताइवान और दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों के प्रति उसकी नीतियां कुछ और ही संकेत देती हैं। 

सीधे अमेरिका का उल्लेख किए बिना शी ने कहा, ‘‘बाहर से सैन्य हस्तक्षेप और तथाकथित लोकतांत्रिक परिवर्तन में नुकसान के अलावा कुछ भी नहीं है। दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है। हमें टकराव और बहिष्कार पर बातचीत और समावेश को तरजीह देने की जरूरत है।’’ 

इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा का सत्र 14 सितंबर को अब्दुल्ला शाहिद की अध्यक्षता में शुरू हुआ है, जो मालदीव के विदेश मंत्री हैं। आम चर्चा 21 सितंबर से शुरू हो चुकी है और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन मंगलवार को विश्व नेताओं को संबोधित किया है। इस वार्षिक आम चर्चा में 100 से ज्यादा राष्ट्र प्रमुखों के साथ-साथ विदेश मंत्री और राजनयिक हिस्सा ले रहे हैं। 

चीन के राष्ट्रपति का यह संबोधन ऐसे वक्त में हुआ है जब कुछ दिन पहले ही अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने एक नया सुरक्षा गठबंधन बनाने की घोषणा की है, जिसे दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव का सामना करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बुधवार को ‘ऑकस’ गठबंधन बनाने की घोषणा की थी,जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियां बनाने की प्रौद्योगिकी दी जा रही हैं। (भाषा)

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