बीजिंग: चीन और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को “आतंकवाद का गढ़” बनने से रोकने और आतंकवादी ताकतों को वहां से निकालने के लिए युद्धग्रस्त देश में “संयुक्त कार्रवाई” शुरू करने का निर्णय लिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। चीन के दक्षिण पश्चिमी शहर चेंगदू में शनिवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि पाकिस्तान कई बार भारत में आतंकवाद फैलाने को लेकर पूरी दुनिया के सामने आ चुका है। ऐसे में चीन ने अब आतंक के आका पाकिस्तान के साथ मिलकर अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने की बात कही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवाददाताओं से कहा कि बैठक के दौरान वांग और कुरैशी ने “अफगान मुद्दे पर संयुक्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।” इसके अलावा चीनी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि वांग ने कुरैशी के साथ हुई बातचीत में कहा कि एक पड़ोसी होने के नाते अफगान स्थिति का चीन और पाकिस्तान पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, दोनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि आपसी सहयोग को मजबूत करें और परिवर्तन पर प्रतिक्रिया दें। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि कुरैशी की चीन की यात्रा के दौरान यह एक महत्वपूर्ण एजेंडा था।
अफगानिस्तान में हिंसा नहीं रुकी तो अभूतपूर्व संख्या में होगी लोगों के जीवन की क्षति: संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में हिंसा में यदि उल्लेखनीय रूप से कमी नहीं हुई तो इस युद्धग्रस्त देश में पिछले एक दशक के दौरान वर्ष 2021 में सबसे ज्यादा असैन्य नागरिकों के मारे जाने की आशंका है। ‘अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता अभियान’ (यूएनएमए) की साल 2021 की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल अब तक 5,183 सैन्य नागरिक या तो मारे गए हैं या घायल हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 1,659 लोगों की मौत हुई है और 3,524 लोग घायल हुए हैं, जो कि इसी दौरान 2020 की तुलना में 47 प्रतिशत ज्यादा है। रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर 2021 में अफगानिस्तान में उल्लेखनीय रूप से हिंसा में कमी नहीं आई तो 2009 में यूएनएमए की शुरुआत से लेकर अब तक एक साल में सबसे ज्यादा सैन्य नागरिकों की मौत दर्ज हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया कि एक मई से अब तक मारे गए या घायल हुए असैन्य नागरिकों की संख्या में वृद्धि चिंता का कारण है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय फौजें अफगानिस्तान से जा रही हैं और तालिबान के फिर से मजबूत होने से लड़ाई तेज हो गई है।
अफगानिस्तान के लिए महासचिव की विशेष प्रतिनिधि डेबोराह लीयोंस ने कहा, “मैं तालिबान और अफगान नेताओं से आग्रह करती हूं कि वे युद्ध की गंभीरता और नागरिकों पर पड़ने वाले इसके प्रभाव का संज्ञान लें। रिपोर्ट में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि हिंसा को नहीं रोका गया तो अभूतपूर्व संख्या में अफगान नागरिकों के जीवन की क्षति होगी।”