ताइपे: चीन ने अपनी ताकत दिखाने के लिए गुरुवार को ताइवान की ओर 19 लड़ाकू विमान भेजे। इससे पहले स्वशासित द्वीप ने ऐलान किया था कि उसकी मंशा 11 सदस्यीय प्रशांत व्यापार समूह में शामिल होने की है, जिसमें सम्मिलित होने के लिए चीन ने भी आवेदन किया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि द्वीप ने चीन के विमानों की प्रतिक्रिया में हवाई गश्ती बलों को तैनात किया है।
चीन के विमानों में 12 जे-16 और दो जे-11 एवं बमवर्षक और एक पनडुब्बी रोधी विमान था। चीन ने इस साल करीब-करीब हर रोज अपने लड़ाकू विमान ताइवान की ओर भेज रहा है। चीन ने ताइवान में राजनीतिक घटनाक्रम के बाद स्वशासित द्वीप को सैन्य तौर पर धमकाने की कोशिश तेज कर दी है।
चीन इन राजनीतिक घटनाक्रमों को अपनी संप्रभुत्ता में दखल-अंदाज़ी मानता है। ताइवान और चीन 1949 में गृहयुद्ध के दौरान अलग हो गए थे, लेकिन चीन दावा करता है कि ताइवान उसका हिस्सा है और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में ताइवान की भागीदारी का विरोध करता है। बीजिंग अंतरराष्ट्रीय निकायों में ताइवान की भागीदारी का भी विरोध करता है।
ताइवान ने गुरुवार को घोषणा की कि उसने प्रशांत पार साझेदारी के लिए ‘व्यापक और प्रगतिशील समझौते” में शामिल होने के लिए आवेदन किया है जिससे बीजिंग के साथ एक और टकराव होने की आशंका है। चीन की सेना ने पिछले साल 18 विमानों को ताइवान की ओर तब भेजा था जब अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने द्वीप का दौरा किया था और सरकार के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी।
दरअसल, ताइवान ने ऐलान किया है कि वह 11 देशों वाले प्रशांत व्यापार समूह (Pacific trade group) का हिस्सा बनेगा। वहीं, चीन ने भी इस समूह में शामिल होने के लिए अप्लाई किया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, चीनी लड़ाकू विमानों के जवाब में हवाई गश्ती बलों को तैनात किया गया और उन पर एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए नजर रखी गई। इन लड़ाकू विमानों ने एल-आकार में उड़ान भरी। दरअसल, चीन का मानना है कि ताइवान का प्रशांत व्यापार समूह में शामिल होना उसकी संप्रभुता में हस्तक्षेप करना है।