बीजिंग: एक रक्षा विशेषज्ञ ने सोमवार को यहां कहा कि कब्जे में आए चीनी सैनिक को वापस सौंपकर भारत ने सीमा तनाव को कम करने में सद्भावना दिखाई है। पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो के दक्षिणी किनारे पर शुक्रवार की सुबह चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) के एक सैनिक को पकड़ा गया था जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार कर भारत की तरफ आ गया था। नयी दिल्ली में एक सूत्र ने कहा कि पीएलए के सैनिक को सोमवार सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्डो सीमा बिंदु पर चीन को वापस सौंप दिया गया।
शिंघुआ विश्वविद्यालय में चीन के नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट के शोध विभाग के निदेशक कियान फेंग ने सरकारी ग्लोबल टाइम्स को बताया, “लापता चीनी सैनिक की वापसी दोनों देशों के बीच सीमा नियमन तंत्र पर बनी सहमति के अनुरूप हुई है।” चीनी सैनिक की वापसी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “चार दिनों के अंदर चीनी सैनिक को वापस कर भारत ने सीमा पर तनाव कम करने की सद्भावना दिखाई है।” चीनी सेना ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर की गई संक्षिप्त टिप्पणी में सोमवार को सैनिक की वापसी की बात कही है।
बयान में कहा गया, “चीन और भारत के बीच हुए समझौते के तहत, अंधेरे और जटिल पहाड़ी भू-भाग की वजह से खो गए एक चीनी सीमा सैनिक को भारतीय पक्ष ने 11 जनवरी 2021 की दोपहर को चीनी सीमा सैनिकों को सौंप दिया।” चीन के सीमा बलों ने शनिवार को कहा था कि अंधेरे और जटिल भूगोल की वजह से एक चीनी सैनिक शुक्रवार सुबह चीन-भारत सीमा पर लापता हो गया था और भारतीय पक्ष से उसे लौटाने को कहा गया था।
सीमा पर मई से जारी गतिरोध के बीच यह दूसरा मौका है जब भारत ने अपने कब्जे में आए चीनी सैनिक को लौटाया है। इससे पहले 18 अक्टूबर को चीन-भारत सीमा पर एक चरवाहे की उसकी याक खोजने में मदद करने के दौरान एक सैनिक कथित तौर पर लापता हो गया था। भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में आठ महीनों से भी ज्यादा समय से गतिरोध बना हुआ है। यह गतिरोध पिछले साल मई में शुरू हुआ था जब पैंगोंग झील इलाके में दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी।