बीजिंग: ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन को चुनावों में भारी जीत के बाद बधाई देने के लिए चीन ने अमेरिका और कई अन्य देशों की कड़ी आलोचना की है। गौरतलब है कि साई ने खुद को चीन के बढ़ते अधिनायकवाद के खिलाफ उदार लोकतांत्रिक मूल्यों के रक्षक के तौर पर पेश किया था। राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनावों में शनिवार को उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की थी। इसके बाद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के साथ ही ब्रिटेन और जापान के शीर्ष राजनयिकों ने बयान जारी कर साई को बधाई दी।
चीन ने कड़े शब्दों में जाहिर की नाराजगी
हालांकि अमेरिका और बाकी देशों द्वारा साई को दी गई यह बधाई चीन को जरा भी रास नहीं आई। दरअसल, ताइवान को चीन अपने क्षेत्र के रूप में देखता है और मानता है कि इन देशों की बधाई से उसकी ‘एक चीन’ नीति का उल्लंघन हुआ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, ‘चीनी पक्ष इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर करता है और इसका विरोध करने का संकल्प लेता है। हम ताइवान एवं ऐसे देशों के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक संवाद का विरोध करते हैं जिनका चीन के साथ कूटनीतिक संबंध है।’
चीनी मीडिया ने साई पर लगाए आरोप
चीन की सरकारी मीडिया ने भी साई की जीत को तवज्जो नहीं दी और ताइवानी नेता पर ‘गंदी युक्ति’ और ठगी करने का आरोप लगाते हुए उनके प्रचार की वैधता पर संदेह खड़ा किया। सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने रविवार को कहा कि साई और उनकी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने ‘वोट हासिल करने के लिए ठगी, दमन और धमकी का सहारा लिया जो उनके स्वार्थी, लालची तथा बुरी प्रकृति का भंडाफोड़ करता है।’ शिन्हुआ ने साई पर वोट खरीदने का आरोप लगाया और कहा कि चुनाव परिणामों के लिए ‘बाहरी ताकत’ जिम्मेदार हैं।