बीजिंग: चीन ने बुधवार को कहा कि वह तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के साथ उनके 'भविष्य' पर तो चर्चा कर सकता है, लेकिन तिब्बत से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कोई बात नहीं होगी। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दलाई लामा ने बुधवार को तोक्यो फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा, 'मैं भारत में शांतिपूर्वक रहना पसंद करता हूं।' दलाई लामा ने धार्मिक सद्भाव के केंद्र के रूप में भारत की तारीफ की थी। उन्होंंने अपने बयान में कहा था कि कड़े सामाजिक नियंत्रण के प्रति सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का झुकाव नुकसानदेह हो सकता है।
‘दलाई लामा से बातचीत के लिए तैयार है चीन’
दलाई लामा ने कहा था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की उनकी कोई खास योजना नहीं है लेकिन उन्होंने पुराने मित्रों से मिलने के लिए तिब्बत की यात्रा करने की अपनी इच्छा प्रकट की। उन्होंने राष्ट्रपति पद पर तीसरे कार्यकाल के लिए भी रहने की शी की योजना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। दलाई लामा की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए कहे जाने और यह पूछे जाने पर कि क्या बीजिंग उन्हें चीन या तिब्बत की यात्रा करने की अनुमति देगा, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबीन ने यहां प्रेस वार्ता में कहा कि बीजिंग तिब्बती आध्यात्मिक नेता के साथ वार्ता के लिए तैयार है।
'यह एक बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह है'
वांग ने कहा, ‘चीन में केंद्रीय सरकार, 14 वें दलाई लामा के साथ मुद्दों पर बातचीत व चर्चा करने पर अपना रुख पूर्ववत और स्पष्ट रखे हुए हैं। वार्ता के दरवाजे खुले हुए हैं। मैं कहना चाहूंगा कि सिर्फ दलाई लामा के भविष्य के विषय पर चर्चा हो सकती है और उसमें तिब्बत का विषय नहीं होगा। दलाई लामा को यह कार्य करना है कि उन्हें अलगाववादी गतिविधियों को रोकना है और केंद्रीय सरकार व चीनी लोगों का विश्वास जीतने के लिए ठोस उपाय करने हैं।’ उन्होंने निर्वासित तिब्बती सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘यह एक बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह है। यह चीन के संविधान और कानून के खिलाफ है, यह एक अवैध संगठन है। दुनिया का कोई भी देश इसे मान्यता नहीं दे रहा।’
‘मैं भारत में ही रहना चाहता हूं’
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु ने कहा, ‘चीनी कम्युनिस्ट नेता संस्कृतियों की विविधताओं को नहीं समझते हैं। असल में अत्यधिक नियंत्रण लोगों को नुकसान पहुंचाएगी।’ बता दें कि चीन सभी धर्मों पर कड़ा नियंत्रण रखता है और हाल के वर्षों में उसने तिब्बतियों, तुर्की, मुस्लिम, उइगुर तथा अन्य अल्पसंख्यक समूहों को निशाना बना कर सांस्कृतिक समावेशीकरण अभियान चलाया है। दलाई लामा ने बुधवार को यह भी कहा कि वह आधिकारिक रूप से नास्तिक कम्युनिस्ट पार्टी शासित चीन और प्रबल बौद्ध धर्मावलंबी ताइवान के बीच जटिल राजनीति में संलिप्त होने के बजाय भारत में ही रहना चाहते हैं, जहां वह 1959 से रह रहे हैं।