बीजिंग: सिक्किम सेक्टर में भारत और चीन के बीच गतिरोध की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष एवं स्टेट काउंसिलर यांग जेची ने ब्रिक्स के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक से इतर मुलाकात की तथा द्विपक्षीय संबंधों में बड़ी समस्याओं पर चर्चा की। डोभाल और यांग की मुलाकात के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, यांग ने द्विपक्षीय मुद्दों एवं बड़ी समस्याओं पर चीन के रूख को विस्तार से रखा। विदेश मंत्रालय के इस कथन को डोकलाम इलाके में बने गतिरोध से जोड़कर देखा जा रहा है।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार यांग ने दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत के वरिष्ठ सुरक्षा प्रतिनिधियों के साथ अलग से मुलाकात की। खबर में कहा गया है कि इन बैठकों में द्विपक्षीय संबंधों, अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों तथा बहुपक्षीय मामलों एवं बड़ी समस्याओं पर चर्चा की गई। खबर में यह भी कहा गया है कि यांग ने तीनों वरिष्ठ सुरक्षा प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की और द्विपक्षीय मुद्दों एवं बड़ी समस्याओं पर चीन का रूख पेश किया। डोभाल और यांग भारत-चीन सीमा व्यवस्था के विशेष प्रतिनिधि हैं।
डोभाल ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की दो दिवसीय बैठक में भाग लेने के लिए कल यहां पहुंचे। उनकी यात्रा से सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम इलाके में एक महीने से चल रहे गतिरोध को लेकर भारत और चीन के बीच समाधान निकलने की संभावना बढ़ गई है। डोभाल और यांग दोनों भारत-चीन सीमा तंत्र के विशेष प्रतिनिधि हैं।
आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार, डोभाल ब्रिक्स देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ कल चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी मुलाकात करेंगे। भारतीय सेना ने भारत-भूटान-चीन सीमा पर चीनी सेना को सड़क बनाने से रोक दिया था जिसके बाद एक महीने से ज्यादा समय से चीन और भारत की सेना आमने-सामने है। चीन ने दावा किया है कि वह अपने क्षेत्र में सड़क का निर्माण कर रहा है। भारत ने इस निर्माण का विरोध जताया है।
क्या है डोकलाम विवाद?
दोनों देशों के बीच सिक्किम क्षेत्र में बढ़ते तनातनी का मुख्य वजह भारतीय जमीन के उस टुकड़े को माना जा रहा है जिसे 'चिकन नेक' के नाम से जाना जाता है। चीन, भारत को इस क्षेत्र में घेरना चाहता है इसलिए वह सिक्किम-भूटान और तिब्बत के मिलन बिंदु स्थल (डोका ला) तक एक सड़क का निर्माण करने की कोशिश कर रहा है जिस पर भारत को आपत्ति है। इस सड़क का निर्माण वह भूटान के डोकलाम पठार में कर रहा है। 'चिकन नेक' का अर्थ है मुर्गे की गर्दन और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लेकिन कमज़ोर क्षेत्रों को 'चिकन नेक' के नाम से जाना जाता है।
क्यों अहम है डोकलाम का पठार?
269 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल का यह इलाका भारत,चीन और भूटान की सीमाओं के पास है। यही वह इलाका है जहां तीनों देशों की सीमाएं मिलती हैं। 1914 की मैकमोहन रेखा के मुताबिक यह इलाका भूटान के अधिकार में है। जबकि चीन इस लाइन को मानने से ही इनकार करता है। और वक्त-वक्त पर उसके सैनिक भूटान की सीमा का अतिक्रमण करते रहते हैं।
डोकलाम के पठार की रणनीतिक रूप से इस इलाके में बेहद अहमियत है। चंबी घाटी से सटा हुआ होने के चलते चीन इस पठार पर अपनी सैन्य पोजीशन को मजबूत करना चाहता है। चीन की कोशिश है कि इस इलाके में सड़कों का जाल बिछाया जाए ताकि भारत के साथ युद्ध की स्थिति में जल्द से जल्द इस इलाके में सैन्य मदद पहुंचाई जा सके। डोकलाम के पठार पर चीन की इसी मंशा ने भारत को सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है।
चुंबी घाटी का चक्कर
रक्षा जानकारों के मुताबिक चुंबी घाटी में चीन की गतिविधियां भारत के लिए चिंता का सबब है। यह मानचित्र में हंसिए की तरह का हिस्सा है जो भारत के चिकन नेक से ठीक ऊपर स्थित है। अभी इस क्षेत्र में भू-सामरिक लिहाज से भारत बेहतर स्थिति में है लेकिन डोकलाम से डोका ला तक सड़क निर्माण कर चीन, इन देशों के मिलन बिंदु स्थल तक पहुंचकर भारत को घेरना चाहता है।