बीजिंग: चीन ने कहा कि भारत के साथ सामरिक संवाद का संबंधों के लिए सकारात्मक महत्व है तथा दोनों के बीच गहन समझौतों को लेकर सहमति बनी है, हालांकि बीजिंग ने एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास तथा जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने की कोशिश जैसे मुद्दों को लेकर मतभेदों का कोई हवाला नहीं दिया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने संवाददाताओं से कहा, यह संवाद उम्मीद के मुताबिक अपने लक्ष्य तक पहुंचा है और इसका द्विपक्षीय संबंधों को लेकर सकारात्मक महत्व है। वह चीनी अधिकारियों के साथ विदेश सचिव एस जयशंकर की बातचीत को लेकर अपना आकलन दे रहे थे।
जयशंकर ने यहां भारत-चीन सामरिक संवाद की सह-अध्यक्षता की। गेंग ने कहा, कुल मिलाकर हमारी यह धारणा है कि यह सामरिक संवाद दोस्ताना माहौल में हुआ। दोनों पक्षों ने विचारों का गहन और समग्र आदान-प्रदान किया तथा विस्तृत समझौतों पर सहमति बनी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय हालात, घरेलू एवं विदेशी नीतियों, परस्पर हित के द्विपक्षीय संबंधों और दूसरे क्षेत्रीय और अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का गहन एवं समग्र आदान-प्रदान किया ता कि व्यापक सहमति जताई। बहरहाल, गेंग ने परमाणु आपूतिकर्ता समूह :एनएसजी: की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास तथा मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने कर कोशिश जैसे मुद्दों को लेकर मतभेदों का कोई हवाला नहीं दिया।
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने के लिए ठोस सबूत मांगने पर जयशंकर ने कहा कि अजहर की करतूतें अच्छी तरह दस्तावेजित हैं और इसे साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से अजहर के मामले पर ठोस सबूत मांगने पर जयशंकर ने कहा, अजहर के मामले में जैश को खुद को 1267 के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इसलिए सबूत 1267 समिति के कार्रवाई में है। इस मामले में अजहर ने जो कुछ भी किया है वो सभी अच्छी तरह दस्तावेजित हैं। उन्होंने कहा, एनएसजी के मुद्दे पर चीनी पक्ष ने कहा कि वे सदस्यता के लिए भारत के आवेदन पर बातचीत को तैयार हैं। प्रक्रियाओं को लेकर उनके अपने विचार हैं। ये विचार हमारी और समूह के अधिकतर सदस्यों की राय से भिन्न हैं।