बीजिंग: चीन के नोबेल पुरस्कार विजेता दिवंगत लियू शियाओबो का शेनयांग में अधिकारियों की निगरानी में एक निजी व सादे कार्यक्रम में अंतिम संस्कार किया गया। सरकार ने केवल उनकी पत्नी लियू शिया तथा कुछ अन्य लोगों को उन्हें विदाई देने की अनुमति दी, जो देश के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता थे। लियू शियाओबो की अस्थियां बाद में एक साधारण समारोह में सागर में विसर्जित कर दी गईं, ताकि देश में कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कोई प्रतीक न रहे। 11 साल जेल की सजा भुगत रहे लियू शियाओबो का लीवर कैंसर से इस सप्ताह निधन हो गया। (पाकिस्तानी सेना के सीनियर अफसर ने भारत के RAW पर लगाया यह बड़ा आरोप)
लियू शिया के पारिवारिक मित्रों ने कहा है कि उन्हें नजरबंद करके रखा गया है और इस कारण वे उनसे संपर्क करने में अक्षम हैं। शेनयांग सूचना कार्यालय के प्रवक्ता झांग किंगयांग ने प्रेस वार्ता में कहा, "चीन की सरकार उनके (लीयू शिया) वैध अधिकारों की कानून सम्मत सुरक्षा करेगी।" यह पूछे जाने पर कि क्या लियू शिया विदेश यात्रा कर सकती हैं, जिसकी उन्होंने पहले अपील की थी, झांग ने कहा कि वह मुक्त हैं, लेकिन वह अपने पति के निधन पर शोकग्रस्त हैं, संबंधित अधिकारियों ने उन्हें परेशान न करने की उनकी इच्छा का आदर किया है।
कम्युनिस्ट सरकार ने दावा किया कि उनके परिवार ने उनकी अंत्येष्टि का फैसला किया था और सामान्य कार्यक्रम के तहत अंतिम संस्कार किया गया, जबकि उनके पारिवारिक मित्रों ने इसे खारिज करते हुए दावा किया कि उनकी विधवा को नजरबंद करके रखा गया है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, शियाओबो के वकील जेयर्ड जेंजर ने कहा कि पति की मौत के बाद से ही लियू शिया से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है। लियू को नोबेल पुरस्कार प्रदान करने वाली कमेटी ने शुक्रवार को कहा कि वह लियू शिया को लेकर 'बेहद चिंतित' है और चीन से उन्हें रिहा करने की अपील की। लियू शियाओबो को चीन में मानवाधिकार के लिए अहिंसक तरीके से संघर्ष को लेकर साल 2010 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।