बीजिंग: भाजपा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी ने चीनी अधिकारियों के साथ यहां वार्ता के बाद आज कहा कि जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और अन्य पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को लेकर चीन-भारत गतिरोध खत्म हो सकता है, बशर्ते कि पाकिस्तान को सेंसर करने की कोशिश करने के बजाय भारत उसके खिलाफ साक्ष्य पर ध्यान दिलाते हुए फिर से अपनी अर्जी सौंपे।
स्वामी हैं कैलाश मानसरोवर की निजी यात्रा पर, पीएम मोदी को है जानकारी
स्वामी ने पीटीआई भाषा से कहा कि उनका यह मानना है कि भारत जैश ए मोहम्मद नेता मसूद अजहर को भारत में मुकदमे का सामना कराने के लिए आतंकवादी घोषित कराने के मुद्दे पर चीन से सहयोग की उम्मीद कर सकता है, बशर्ते कि भारत आतंकवाद के प्रायोजक के तौर पर पाकिस्तान को प्रतिबंधित करने के बजाय उस पर संयुक्त राष्ट्र में कहीं अधिक ध्यान दिलाए। तिब्बत में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर आए स्वामी ने यहां कहा कि वह पुराने मित्र के नाते व्यक्तिगत क्षमता से चीन की यात्रा कर रहे हैं, लेकिन इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी कैबिनेट के अन्य वरिष्ठ मंत्रियों को जानकारी है।
पाकिस्तान के बजाय मसूद अज़हर पर केंद्रित हो भारत की अर्जी
भाजपा नेता ने कहा कि एक तरकीबी कदम के तहत संरा में शिकायत फिर से करना दूरदर्शिता भरा होगा जो चीन के तकनीकी रोक के बाद बाधित हो गया है। स्वामी ने चीनी पीपुल्स पॉलीटिकल कंसलटेटिव कमेटी की विदेश मामलों की समिति के निदेशक वांग जी क्विंग से मुलाकात के बाद कहा, यहां मुझे जो कुछ पता चला, उसके आधार पर मैं बहुत आश्चर्यचकित होउंगा, यदि चीन इसे ठोस साक्ष्य तक सीमित किए जाने के बाद बाधा डालेगा। उन्होंने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में जो अर्जी सौंपी थी वह अजहर की तुलना में कहीं अधिक पाकिस्तान पर केंद्रित है। मुझे लगता है कि जिन सीमित उद्देश्य के लिए यह सौंपी गई, वह संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध हासिल करना था। रिपोर्ट फिर से सौंपी जानी चाहिए।
ठोस साक्ष्य पर बेस्ड होने पर चीन नहीं अड़ा सकेगा रोड़े
स्वामी ने कहा, उन्हें लगता है कि जब रिपोर्ट ठोस साक्ष्य तक सीमित होगी तो चीन को ना कहने में मुश्किल होगी। यह एक अच्छा विचार होगा यदि संरा में जाने से पहले भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय परामर्श हो। चीन ने मुंबई हमलों के सरगना और लश्कर ए तैयबा कमांडर जकी उर रहमान लखवी पर संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंध लगवाने की भारत की कोशिशों को बाधित किया था। उसने पठानकोट हमले में भूमिका को लेकर अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की कवायद को भी रूकवा दिया।
राष्ट्रपति की चीन यात्रा में भी उठा था ये मुद्दा
यह मुद्दा हाल ही में संपन्न हुई राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यात्रा में भी उठा था। स्वामी ने सुझाव दिया कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के मुद्दे के हल के लिए भारत, चीन और पाकिस्तान की त्रिपक्षीय वार्ताएं हो। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ वार्ता बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन समस्या यह है कि हम पाकिस्तान में सिर्फ संवैधानिक प्राधिकार से बात कर सकते हैं जो कि प्रधानमंत्री हैं, जिनके पास अंतिम निर्णय का अधिकार नजर नहीं आता। उन्होंने कहा कि आईएसआई और मुल्लाओं के साथ सेना वीटो करती नजर आती है।