वॉशिंगटन: चीन में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की शिविरों में कथित नजरबंदी का मामला अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में रहा है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन ने 10 लाख उइगर मुसलमानों को शिविरों में कैद करके रखा है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कुछ अमेरिकी सांसदों ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन से मांग की थी कि चीन के सुदूरवर्ती पश्चिमी शिनजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की नजरबंदी में लिप्त चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जाए। अमेरिकी सांसदों की इस मांग पर चीन बुरी तरह बौखला गया है और उसने इसकी कड़ी निंदा की है।
‘अपने काम पर ध्यान दें अमेरिकी सांसद’
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने नस्ली भेदभाव से संबंधित अमेरिका के अपने मुद्दों की ओर निशाना साधते हुए कहा, ‘अमेरिका को न्यायकर्ता बनकर इस मुद्दे पर चीन की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है। इन सांसदों को अमेरिकी करदाताओं से पैसे मिलते हैं। उन्हें दूसरे देशों के मामलों में टांग अड़ाने के बजाय अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। अमेरिका मानवाधिकारों का न्यायकर्ता बनने की कोशिश कर रहा है और अन्य देशों पर बिना कारण वह प्रतिबंध भी थोपता है।’
7 अधिकारियों एवं 2 निगरानी उपकरण निर्माताओं पर बैन की मांग
अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सदस्यों ने विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ एवं वित्त मंत्री स्टीव मनचिन को लिखे पत्र में ऐसे 7 अधिकारियों एवं 2 निगरानी उपकरण निर्माताओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। फ्लोरिडा से सीनेटर मार्को रुबियो ने ट्विटर पर लिखा, ‘आज मैंने और द्विपक्षीय समूह में कांग्रेस के 16 सदस्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मैग्नीटस्काई कानून का इस्तेमाल कर चीन के शिनजियांग क्षेत्र में बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय को नजरबंदी शिविरों में रखने के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों की संपत्ति जब्त करने तथा उन पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है।’
आरोपों से इनकार कर चुका है चीन
बहरहाल, चीन ने इन आरोपों से इनकार किया है कि देश में मुस्लिम उइ्गर अल्पसंख्यक समुदाय से 10 लाख लोगों में से अधिकतर को नजरबंदी शिविरों में रखा गया है। एक चीनी अधिकारी ने जिनिवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति को इस महीने की शुरुआत में बताया था कि शिनजियांग में चरमपंथ एवं आतंकवाद से लड़ने के लिए ही कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं और वह किसी विशेष जातीय समूह को निशाना नहीं बना रहा है तथा न ही धार्मिक आजादी पर प्रतिबंध लगाता है।