Saturday, November 02, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. एशिया
  4. पेंग शुआई केस: चीन में कइयों ने भुगती है यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की सजा

पेंग शुआई केस: चीन में कइयों ने भुगती है यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की सजा

चीन ने ज्यादातर कम लोकप्रिय या दबदबे वाले कार्यकर्ताओं को लक्षित किया है और जो अक्सर हाशिए पर मौजूद समूहों के साथ काम करते हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 24, 2021 15:41 IST
Peng Shuai, Peng Shuai Case, Peng Shuai Tennis, Peng Shuai China, Peng Shuai MeToo- India TV Hindi
Image Source : AP यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के बाद परेशानियों का सामना करने वाली पेंग अकेली महिला नहीं हैं।

Highlights

  • कई कार्यकर्ताओं तथा पीड़ितों की आवाज दबाने की कोशिश चीन में लगातार की जाती है।
  • हुआंग शुएक्विन ने 2018 में चीन में ‘Me Too’ अभियान की शुरुआत की थी।
  • सर्वाजनिक पटल पर किन मुद्दों को रखा जाना चाहिए, इसके खिलाफ अभियान इस साल और तेज हो गया है।

ताइपे: प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला का सार्वजनिक रूप से साथ देने वाली हुआंग शुएक्विन को सितंबर में गिरफ्तार कर लिया गया था। यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने में एक महिला की मदद करने वाली वांग जियानबिंग को भी हिरासत में ले लिया गया। इनकी तरह कई अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्हें सोशल मीडिया मंच पर प्रताड़ित किया गया, जिनमें से कुछ ने परेशान होकर अपने अकाउंट भी बंद कर दिए हैं।

3 हफ्ते बाद एक वीडियो कॉल में नजर आई थीं पेंग

चीन की टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के पूर्व उपप्रधानमंत्री झांग गाओली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद गायब हो जाने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस घटना की काफी निंदा की गई थी। हालांकि, लगभग 3 सप्ताह बाद शुआई अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के अध्यक्ष थॉमस बाक के साथ एक वीडियो कॉल में नजर आईं। यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के बाद तमाम परेशानियों का सामना करने वाली पेंग अकेली महिला नहीं हैं। कई कार्यकर्ताओं तथा पीड़ितों की इसी तरह आवाज दबाने की कोशिश चीन में लगातार की जाती है।

2018 में चीन में हुई ‘Me Too’ अभियान की शुरुआत
हुआंग शुएक्विन ने 2018 में चीन में ‘Me Too’ अभियान की शुरुआत की थी, जिससे सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर बात की गई और पहली बार यौन उत्पीड़न को परिभाषित करने के लिए नागरिक संहिता स्थापित करने सहित कई उपाय किए गए। हालांकि, इसे चीन के अधिकारियों के कठोर विरोध का सामना भी करना पड़ा, जिसने तुरंत ही सोशल मीडिया अभियान को ठप कर दिया क्योंकि उसे डर था कि इससे सत्ता में उनकी पकड़ को चुनौती मिल सकती है।

Huang Xueqin, Peng Shuai Tennis, Huang Xueqin China, Huang Xueqin MeToo

Image Source : AP
प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला का साथ देने वाली हुआंग शुएक्विन को गिरफ्तार कर लिया गया था।

महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं पिन
सर्वाजनिक पटल पर किन मुद्दों को रखा जाना चाहिए, इसके खिलाफ अभियान इस साल और तेज हो गया है। अमेरिका में रहने वाली कार्यकर्ता लू पिन ने कहा कि वे खुलेआम महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित कर रहे हैं। पिन अब भी चीन में महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। चीन के अधिकारियों के लिए ‘मीटू’ अभियान और महिलाओं के अधिकारों पर सक्रियता कितनी खतरनाक है, इसका पता इस बात से चलता है कि उन्होंने कई कार्यकर्ताओं को विदेशी हस्तक्षेप का साधन बता निशाना बनाया है।

लगाया जाता है देश की सत्ता को कमजोर करने का आरोप
चीन ने ज्यादातर कम लोकप्रिय या दबदबे वाले कार्यकर्ताओं को लक्षित किया है और जो अक्सर हाशिए पर मौजूद समूहों के साथ काम करते हैं। हुआंग और वांग दोनों ने ही वंचित समूहों की वकालत की है। दोनों कार्यकर्ताओं के एक दोस्त के अनुसार, उन पर देश की सत्ता को कमजोर करने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने वांग के परिवार को इस संबंध में भेजा गया एक नोटिस भी देखा है। दक्षिणी चीनी शहर ग्वांगझू की पुलिस से सम्पर्क किया गया, लेकिन उन्होंने मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की। दोनों को वहीं गिरफ्तार किया गया था।

सोशल मीडिया पर आवाज उठाने वालों को बनाया जाता है निशाना
यह अरोप अक्सर राजनीतिक असंतुष्टों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। हुआंग और वांग के परिवार को उनकी गिरफ्तारी के बाद से उनकी कोई खबर नहीं मिली है। वहीं, जाने-माने सरकारी टीवी होस्ट झू जून पर बदसलूकी का आरोप लगाने वालीं झोउ ज़ियाओसुआन को सोशल मीडिया पर प्रताड़ना का सामना करना पड़ा और अब वह अपने अकाउंट पर कुछ भी साझा नहीं कर सकती हैं। चीन के सोशल मीडिया मंच ‘वायबो’ पर कई लोगों ने उन्हें, ‘चीन से बाहर चली जाओ’, ‘विदेशी तुम्हारा इस्तेमाल कर तुम्हें छोड़ देंगे’ आदि जैसे संदेश भेज रहे हैं।

‘आप अपनी बात किसी तरह भी नहीं रख सकते’
झू ने कहा, ‘अब, सोशल मीडिया पर स्थिति ऐसी है कि आपकी गतिविधियां बिल्कुल सीमित कर दी गई हैं और आप अपनी बात किसी तरह भी नहीं रख सकते।’ इन तमाम प्रताड़नाओं के बावजूद कार्यकर्ताओं का कहना है कि ‘मीटू’ अभियान ने इस मुद्दे को सार्वजनिक पटल पर लाने का ऐसा दरवाजा खोल दिया है, जिसे अब बंद नहीं किया जा सकता।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement