बीजिंग: भारत द्वारा 69वें गणतंत्र दिवस के मौके पर आसियान नेताओं की मेजबानी पर चीन ने बेहद ही सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। इस मामले पर बहुत ही बचकर बोलते हुए चीन ने उम्मीद जताई कि यह क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास बनाए रखने में मदद करेगा। भारत दो दिवसीय भारत-आसियान स्मृति सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। इस सम्मेलन से उम्मीद जताई जा रही है कि क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य मुखरता के बीच यह आतंकवाद से निपटने, सुरक्षा और संयोजकता जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाएगा।
गौरतलब है कि भारत के इतिहास में पहली बार एक अनूठी घटना के तहत आसियान के सभी 10 नेता गणतंत्र दिवस परेड पर मुख्य अतिथि होंगे। इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग, वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फक, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजक, थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओ चा, फिलीपींस के राष्ट्रपति रॉड्रिग दुतेर्ते, कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन, लाओस के प्रधानमंत्री थोनगलोउन सिसोउलिथ और ब्रुनई के सुलतान हसनल बोल्किया मुख्य अतिथियों के तौर पर शामिल होंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने वाले आसियान नेताओं के सम्मेलन के बारे में पूछे जाने पर मीडिया से कहा, ‘हम उम्मीद जताते हैं कि क्षेत्र की शांति, स्थिरता और विकास के लिए हम सभी देश एकजुट होकर काम करेंगे।’ उन्होंने मीडिया की उस रिपोर्ट की आलोचना की जिसमें कहा गया था कि इन नेताओं को निमंत्रित करने के भारत के इस कदम का लक्ष्य चीनी प्रभाव को कम करना है। शुनयिंग ने कहा, ‘हम सब इस संबंध में एक रचनात्मक भूमिका निभा सकते हैं। मैं भारत के लिए कहना चाहती हूं कि भारतीय मीडिया बहुत ज्यादा आत्मविश्वासी नहीं है और वह हम पर भरोसा नहीं करता है।’