बीजिंग: चीन ने पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति के मद्देनजर मेन लाइन-एक रेलवे लाइन परियोजना के लिए छह अरब डॉलर कर्ज को मंजूरी देने के पहले उससे अतिरिक्त गारंटी मांगी है। इस परियोजना के जरिए पेशावर से कराची तक 1,872 किलोमीटर रेल मार्ग का दोहरीकरण और पटरियों की मरम्मत का काम किया जाना है। चीन ने इस रिपोर्ट को बेबुनियाद बताया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने इस रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया कि पाकिस्तान में बढ़ते भ्रष्टाचार और आतंकवादी हमलों के कारण चीन 60 अरब डॉलर की सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) परियोजना को लेकर आरंभिक वित्तीय प्रतिबद्धता से पीछे हट रहा है।
झाओ ने यहां संवाददाता सम्मेलन में इन रिपोर्टों को आधारहीन और बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद, चीन का सीपीईसी समेत बीआरआई-बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव को लेकर योगदान घटने के बजाए बढ़ा है।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘पहली तीन तिमाहियों में चीन का बीआरआई से जुड़े देशों में प्रत्यक्ष निवेश करीब 30 प्रतिशत बढ़ा है। चीन ने बीआरआई भागीदार देशों को महामारी से निपटने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये मदद की पेशकश की है।’’
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पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजिआंग प्रांत से जोड़ने वाली सीपीईसी परियोजना चीन की महत्वकांक्षी अरबों डॉलर की बीआरआई पहल का हिस्सा है। भारत ने परियोजना को लेकर चिंता जतायी है क्योंकि सीपीईसी का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है।
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पाकिस्तान के अखबारों में हाल में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी कि चीन ने रेलवे लाइन (मेन लाइन-1) परियोजना के लिये 6 अरब डॉलर का कर्ज स्वीकृत करने को लेकर अतिरिक्त गारंटी मांगी है। मामले से जुड़े पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन ने मेन लाइन-1 परियोजना से संबद्ध वित्त पोषण समिति की 13 दिसंबर को हुई बैठक में अतरिक्त गारंटी का मुद्दा उठाया था।
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उसने कहा कि पाकिस्तान ने जी-20 देशों से ऋण राहत को लेकर आवेदन दिया था। उसके बाद चीन ने पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति की स्पष्टता को लेकर अतिरिक्त गारंटी का मुद्दा उठाया। जी-20 देशों की राहत व्यवस्था केवल दुनिया के गरीब देशों के लिये है।