Tuesday, November 05, 2024
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चीन ने भारतीय सैनिकों पर हमले, गलवान नदी पर बांध बनाने के सवालों को टाला

झाओ से उन आरोपों के बारे में पूछा गया कि चीनी सैनिकों ने कर्नल संतोष बाबू और अन्य भारतीय सैनिकों पर लोहे की छड़ों तथा कंटीली तार लगे डंडों से बर्बर हमला किया और क्या यह विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बनाए जा रहे ढांचों को ध्वस्त करने पहुंचे थे।

Reported by: Bhasha
Published on: June 18, 2020 17:00 IST
Ladakh- India TV Hindi
Image Source : AP Representational Image

बीजिंग. भारतीय सैनिकों पर 15 जून को लोहे की छड़ों और कंटीली तार लगे डंडों से बर्बर हमला करने संबंधी सवालों को टालने के साथ ही चीन ने बृहस्पतिवार को उन खबरों पर सवालों का जवाब देने से भी इनकार कर दिया कि वह चीन-भारत सीमा पर गलवान नदी के प्रवाह को बाधित करने के लिए एक बांध बना रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान सोमवार रात को गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में चीनी सेना में हताहतों के बारे में पूछे गए सवाल को लगातार दूसरे दिन टाल गए।

झाओ से उन आरोपों के बारे में पूछा गया कि चीनी सैनिकों ने कर्नल संतोष बाबू और अन्य भारतीय सैनिकों पर लोहे की छड़ों तथा कंटीली तार लगे डंडों से बर्बर हमला किया और क्या यह विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बनाए जा रहे ढांचों को ध्वस्त करने पहुंचे थे। झाओ ने इस घटना के लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार ठहराने वाले चीन के आरोपों को दोहराया। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में सही और गलत बहुत स्पष्ट है और इसकी जिम्मेदारी चीनी सेना पर नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि चीन ने मामले की जानकारी मुहैया कराई है। झाओ ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बुधवार को टेलीफोन पर हुई बातचीत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान ‘‘दोनों पक्ष संघर्ष से पैदा हुई गंभीर स्थिति से न्यायपूर्ण तरीके से निपटने पर राजी हुए और कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति पर संयुक्त रूप से राजी हुए कि जल्द से जल्द तनाव कम किया जाए।’’

उन्होंने बताया कि दोनों मंत्री सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखने पर भी सहमत हुए। उनसे उपग्रह से ली गई उन तस्वीरों के बारे में भी पूछा गया जिसमें चीन गलवान नदी पर बांध बनाकर उसका पानी रोकते हुए दिख रहा है और साथ ही यह पूछा गया कि क्या उसने भारत के साथ किसी समझौते का उल्लंघन किया है। इस पर झाओ ने कहा, ‘‘आपने जिन बातों का जिक्र किया है मुझे उनकी जानकारी नहीं है।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मैं यह बात कहना चाहूंगा कि भारतीय सेना ने सीमा के पश्चिमी क्षेत्र और कुछ अन्य इलाकों में एलएसी पार की और यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने की कोशिश की।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चीनी सेना सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। वे संयम बरत रहे हैं। वे हमारी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता और सुरक्षा की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत से अनुरोध करते हैं कि वह अपने सैनिकों को सीमा पार करने से रोके और दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति और मौजूदा समझौतों का पालन करे और सीमा इलाके में शांति बनाए रखने के लिए हमारे साथ मिलकर काम करे।’’

उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद दोनों पक्ष मामले पर कूटनीतिक और सैन्य तरीकों से बातचीत कर रहे हैं। झाओ ने कहा, ‘‘वर्तमान में स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है। हमारा मानना है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति के तहत दोनों पक्ष सीमा इलाकों में शांति एवं स्थिरता की संयुक्त रूप से रक्षा करने के प्रासंगिक मामले से निपट सकते हैं और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए काम कर सकते हैं।’’

भारत और चीन के सैनिकों के बीच पिछले पांच हफ्तों में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी समेत पूर्वी लद्दाख के कुछ अन्य इलाकों में टकराव रहा है। सोमवार को हुई झड़प नाथू ला में 1967 में हुई झड़पों के बाद दोनों सेनाओं के बीच अब तक का सबसे बड़ा टकराव था। नाथू ला में हुई झड़पों में भारतीय सेना के 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे।

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