बीजिंग: चीन ने अशांत शिनजियांग प्रांत में लाखों उइगर मुसलमानों को कथित ‘व्यावसायिक प्रशिक्षण शिविरों’ में तमाम पाबंदियों के साथ रखा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन प्रशिक्षण शिविरों में मुख्यत: उइगर मुसलमानों को नजरबंद करके रखा जाता है, वहीं चीन लगातार ऐसी किसी भी बात से इनकार करता रहा है। अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं के बाद चीन ने इनका बचाव करते हुए कहा कि प्रशिक्षण शिविरों ने अशांत प्रांत में धार्मिक कट्टरपंथ का ‘प्रभावी खात्मा’ किया है। शिनजियांग प्रांत में लाखों उइगर मुसलमान रहते हैं।
शिविरों में कैद हैं 10 लाख लोग
भारत, अफगानिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) तथा कुछ मध्य एशियाई देशों में से लगे शिनजियांग प्रांत में 10 लाख लोगों को प्रशिक्षण शिविरों में रखे जाने की खबरों को लेकर बीते कई महीनों से चीन पश्चिमी देशों की तीखी आलोचना का सामना कर रहा है। इन शिविरों में अधिकतर उइगुर मुसलमानों को प्रशिक्षण दिये जाने की बात कही जा रही है। चीन का प्रयास इन के जरिये अलगाववादी ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) संगठन द्वारा किये जा रहे हिंसक हमलों पर लगाम लगाना है। चीन ने अलकायदा से संबद्ध बताए जा रहे ETIM पर अशांत शिनजियांग प्रांत और बीजिंग समेत कुछ दूसरे इलाकों में हिंसक हमले करने का आरोप लगाया है।
‘बीते 3 सालों में नहीं हुई एक भी आतंकी घटना’
संसाधनों की प्रचूरता वाले शिनजियांग प्रांत में एक करोड़ से ज्यादा तुर्क भाषी उइगुर मुसलमान रहते हैं। आरोप है कि चीन ने इन मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को काफी सीमित करके रखा है और उन्हें कई धार्मिक गतिविधियां करने की इजाजत नहीं है। दूसरी तरफ ‘शिनजियांग में व्यवसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण’ शीर्षक वाले दूसरे आधिकारिक श्वेत-पत्र में चीन ने कहा कि शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होने के बाद करीब 3 साल से शिनजियांग में कोई आतंकी घटना नहीं हुई है और समाज में कुल मिला कर स्थिति स्थिर है।
‘धार्मिक कट्टरपंथ को किया खत्म’
चीन के केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्टेट काउंसिल द्वारा जारी श्वेत-पत्र के मुताबिक, ‘धार्मिक कट्टरपंथ को प्रभावी रूप से खत्म किया गया है। शिक्षा के जरिये बड़ी संख्या में प्रशिक्षु आतंकवाद की प्रकृति और उसके नुकसान तथा धार्मिक कट्टरपंथ को पहचान सकते हैं और उनके दिमाग में डाली गई ऐसी बातों से खुद को मुक्त रख सकते हैं।’ इसमें दावा किया गया कि शिनजियांग में शिक्षण और प्रशिक्षण केंद्र प्रशिक्षुओं की धार्मिक मान्यताओं की स्वतंत्रता में दखल नहीं देते और न ही प्रशिक्षुओं के धार्मिक विश्वासों को बदलने का प्रयास करते हैं।