Thursday, December 26, 2024
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चीन का दावा, शिनजियांग में 2014 से अबतक गिरफ्तार किए 13,000 'आतंकी', खत्म किए 1,688 गिरोह

चीन ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया है कि शिनजियांग में उसने 2014 के बाद से करीब 13,000 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन गिरफ्तार किए गए लोगों को आतंकवादी के तौर पर बताया गया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : March 18, 2019 20:47 IST
काशगर में इद काह...
काशगर में इद काह मस्जिद के बाहर तैनात चीनी सुरक्षा कर्मी (नवंबर 2017 की तस्वीर)

बीजिंग: चीन ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया है कि शिनजियांग में उसने 2014 के बाद से करीब 13,000 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन गिरफ्तार किए गए लोगों को आतंकवादी के तौर पर बताया गया है। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया कि चीन ने सैकड़ों 'आतंकवादी गिरोहों' को खत्म किया है। यह रिपोर्ट शिनजियांग के परंपरागत इस्लामी इलाके में नजरबंदी कैंपों और सैन्य अत्याचारों को लेकर आलोचनाओं को काउंटर करने के लिए जारी की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने अपने प्रयासों से मजहबी चरमपंथ पर लगाम लगाई है। हालांकि, रिपोर्ट में इस बात का कोई खास सबूत नहीं दिया गया है कि वास्तव में गिरफ्तार किए गए लोगों ने किस तरह के अपराध हुए हैं। हालांकि, विदेशों में रह रहे इलाके के पूर्व निवासियों और ऐक्टिविस्टों का कहना है कि वहां सिर्फ मुस्लिम पहचान को जाहिर करना ही दंडनीय है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से 12,995 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है और आतंकियों के 1,588 गिरोहों को खत्म किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से अब तक करीब 2,052 विस्फोटक उपकरणों को जब्त किया गया है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि करीब 5,000 'गैरकानूनी मजहबी गतिविधियों' में शामिल होने वाले 30,000 से ज्यादा लोगों को सजा दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि 'गैरकानूनी मजहबी प्रचार सामग्रियों' की 3 लाख 45 हजार 229 प्रतियों को भी जब्त किया गया है।

मौजूदा वक्त में चीन को उइगर और दूसरे मुस्लिम समूहों के करीब 10 लाख लोगों को नजरबंद करने के आरोप में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, चीन ने ऐसे नजरबंदी कैंपों को वोकेशनल ट्रेनिंग सेन्टर बताया है जहां लोग अपनी मर्जी से ट्रेनिंग के लिए जाते हैं। लेकिन, इसके ठीक उलट चीन की पोल वहीं के लोग खोल रहे हैं। 

पहले नजरबंद किए जा चुके लोग बताते हैं कि उन्हें बहुत ही बुरे हालात में रखा जाता था। उन्हें इस्लाम त्यागने के और चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रति निष्ठा की शपथ लेन के लिए मजबूर किया जाता है। 

(इनपुट- AP)

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