बीजिंग: चीन ने अपने पड़ोसी देश म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर सभी पक्षों से संविधान और कानूनी ढांचे के तहत गतिरोध दूर करने और देश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने का सोमवार को आह्वान किया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘म्यांमार में जो कुछ हुआ है, हमने उसका संज्ञान लिया है और हम हालात के बारे में सूचना जुटा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन, म्यांमार का मित्र और पड़ोसी देश है। हमें उम्मीद है कि म्यामां में सभी पक्ष संविधान और कानूनी ढांचे के तहत अपने मतभेदों को दूर करेंगे तथा राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखनी चाहिए।’’
चीन, म्यांमार का महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार है और उसने चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे (सीएमईसी) में नौ अरब डॉलर का निवेश किया है। इस गलियारे के जरिए हिंद महासागर तक चीन की सीधी पहुंच होगी। कई देशों ने म्यांमार में तख्तापलट की आलोचना की है और क्या चीन भी आलोचना करेगा, इस सवाल का उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। वांग ने कहा, ‘‘मैंने इस मुद्दे पर चीन के आधिकारिक रुख से अवगत करा दिया है।’’
उन्होंने दोहराया कि चीन का रुख है कि सभी पक्षों को सही तरीके से मतभेद दूर करने चाहिए। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अधिनायकवादी शासकों का समर्थन करती रही है। हालांकि, म्यांमार में चीनी मूल के अल्पसंख्यक समूहों और पहाड़ी सीमाओं के जरिए मादक पदार्थ के कारोबार के खिलाफ कार्रवाई करने के कारण कई बार रिश्तों में दूरियां भी आयी है।
विश्लेषकों के मुताबिक तख्तापलट से चीन के लिए नाजुक स्थिति बन गयी है क्योंकि पिछले दो दशकों में सैन्य जुंटा का समर्थन करने के बाद हालिया समय में वह सू ची के नियंत्रण वाली शासन व्यवस्था से निकटता दिखा रहा था। खबरों के मुताबिक म्यांमार की सेना देश में मिलिशिया समूह यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी को चीन द्वारा समर्थन दिए जाने से नाराज थी।
बता दें कि म्यांमार में तख्तापलट की घटनाओं पर भारत ने चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत हमेशा से म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के समर्थन में रहा है। वहां कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखना चाहिए। हम हालात पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने सोमवार तड़के तख्तापलट कर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को नजरबंजद कर लिया है। मीडिया में आयी खबरों के अनुसार राजधानी में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं। नेपीता में फोन और इंटरनेट सेवा बंद है और सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पिछले साल के चुनाव के बाद म्यांमार के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे। हालांकि सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी।
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