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दलाई लामा के जन्मदिन पर PM मोदी की शुभकामनाओं से चीन को लगी मिर्ची, ग्लोबल टाइम्स में निकाली भड़ास

अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने तिब्बत और धर्मशाला की तुलना भी कर दी और कहा कि तिब्बत में चीन की सरकार ने तिब्बत में रेल और सड़क का संपर्क पहुंचाया है जो हमेशा ट्रैफिक के लिए खुला रहता है। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : July 08, 2021 12:25 IST
China angry after PM Narendra Modi Tibet Religious Guru Dalai Lama on his birthday दलाई लामा के जन्म
Image Source : AP दलाई लामा के जन्मदिन पर PM मोदी की शुभकामनाओं से चीन को लगी मिर्ची, ग्लोबल टाइम्स पर निकाली भड़ास

नई दिल्ली. धर्मशाला मे चल रही तिब्बत की निर्वासित सरकार के सर्वोच्च नेता और बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा को उनके जन्मदिन 6 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र सार्वजनिक तौर पर बधाई क्या दी, चीन को उससे मिर्ची लग गई। चीन की सरकारी वेबसाइट ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने भारत प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से दलाई लामा को दिए बधाई संदेश पर एक लेख लिखा है और यह जताने का प्रयास किया है कि चीन को इससे फर्क नहीं पड़ता और वह दलाई लामा को भूल चुका है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि दलाई लामा को प्रधानमंत्री की बधाई से अगर चीन को फर्क नहीं पड़ता तो फिर लेख लिखने की क्या जरूरत पड़ गई

अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने तिब्बत और धर्मशाला की तुलना भी कर दी और कहा कि तिब्बत में चीन की सरकार ने तिब्बत में रेल और सड़क का संपर्क पहुंचाया है जो हमेशा ट्रैफिक के लिए खुला रहता है। शायद ग्लोबल टाइम्स के संपादक को यह जानकारी नहीं थी कि धर्मशाला रेल और सड़क के अलावा आम लोगों के लिए हवाई संपर्क से भी जुड़ा हुआ है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तिब्बत के आध्यात्मिक नेता और सर्वोच्च बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन पर फोन करके बधाई दी है। दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर वैसे तो दुनियाभर से बधाई संदेश मिल रहे हैं लेकिन पूरी दुनिया की नजर प्रधानमंत्री मोदी के संदेश पर टिकी हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट संदेश में जानकारी देते हुए कहा है कि, ‘‘86वें जन्मदिन पर मैंने दलाई लामा से फोन पर बात की और उन्हें शुभकामनाएं दीं। हम उनके लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।’’

दलाई लामा का जन्म छह जुलाई 1935 को उत्तरी तिब्बत में आमदो के एक छोटे से गांव तकछेर में एक कृषक परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम ल्हामो दोनडुब था। उन्हें 1989 में शांति का नोबेल सम्मान मिला था। चीन ने जब तिब्बत पर कब्जा किया था तो दलाई लामा ने भारत की शरण ली थी, वे 1959 से भारत में रह रहे हैं और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत समुदाय के लोगों के साथ तिब्बत की निर्वासित सरकार चला रहे हैं। 

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