बीजिंग: चीन ने गुरुवार को कहा कि सिक्किम सेक्टर में चीन-भारत की सीमा सुस्पष्ट है और वहां भारतीय सेना का कदम विभिन्न भारतीय सरकारों द्वारा अपनाए गए रुख का उल्लंघन है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा, ‘भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1959 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री चाउु एनलाई को लिखे पत्र में सिक्किम पर 1890 की चीन-ब्रिटिश संधि को स्वीकार किया। बाद की सरकारों ने भी इसका अनुमोदन किया है।’
उन्होंने कहा भारत चीन को संधि का सम्मान करते हुए तुरंत सेना को डोकलाम से हटाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘सिक्किम में भारत-चीन सीमा सुस्पष्ट रूप से सीमांकित है। भारत द्वारा उठाया गया कदम भारतीय सरकारों द्वारा अपनाए गए रूखों का उल्लंघन है।’ प्रवक्ता ने कहा, ‘हालांकि दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक संवाद के लिए रास्ता खुला हुआ है।’ जर्मनी के हैमबर्ग में होनी वाले जी20 सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मिलने की संभावनाओं पर जेंग ने कहा कि फिलहाल उनके पास इसकी कोई सूचना नहीं है कि अन्य देशों के नेताओं के साथ शी की कोई द्विपक्षीय बैठक होनी है या नहीं।
चीन ने भारतीय सेना पर सिक्किम के डोकलाम क्षेत्र में घुसपैठ करने का आरोप लगाया। चीन इसे अपना क्षेत्र मानता है। भूटान भी इस क्षेत्र पर अपने अधिकार का दावा करता है। चीन ने यह भी कहा कि उसने भारत से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सिक्किम से नाथूला दर्रा होकर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘तिब्बत के लिपू झाील से होकर जाने वाला दूसरा रास्ता खुला हुआ है क्योंकि वह ऐसी जगह स्थित है जहां कोई विवाद नहीं है।’