बीजिंग: जब दुनिया भर में कोरोनावायरस के संक्रमण बढ़ रहे थे तब तमाम कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम (घर से काम करने) की इजाजत दी। दरअसल, कोरोनावायरस की वजह से लॉकडाउन लगाया गया और लॉकडाउन की वजह से वर्क फ्रॉम होम की परंपरा ने तेजी पकड़ी। इसने हमारी कार्य संस्कृति को बदलकर रख दिया। कई टेक फर्मों ने अपने सभी कर्मचारियों को अनिश्चित काल तक रिमोट वर्क की अनुमति दी है। लेकिन कई लोग ऐसा मानते हैं कि ऑफिस से बाहर काम करना उत्पादकता में कमी लाता है जबकि यह पूरी तरह गलत है। अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए 2 साल का शोध कहता है और दावा करता है कि घर से काम करना असल में कर्मचारी संतुष्टि के साथ-साथ उत्पादकता भी बढ़ाता है।
जब हमारे पास इसका प्रमाण है, तो हम में से ज्यादा लोग वर्क फ्रॉम होम क्यों नहीं करते? ऐसा इसलिए है क्योंकि असल में हम ऐसा करना नहीं चाहते। घर से काम करने का अभी कुछ समय तक इतना प्रचलित ना होने का सीधा कारण ये है कि इंसान एक सामाजिक प्राणी है, और हममें से कई जिन्होंने घर से काम करके देखा है, अकसर अपने आपको अकेला पाते हैं। हालांकि बिजनस के ²ष्टिकोण से, अपने कर्मचारी से घर से काम करवाना एक समझदारी वाली बात है। सबसे जाहिर चीज है किराया। काम करने की जगह आजकल बहुत महंगी है, लेकिन ऑफिस से बाहर काम करना एक बढ़िया तरीका है, जो आपको अपने बजट में रखता है।
उदाहरण के लिए, जब चीन की सबसे बड़ी ट्रेवल एजेंसी के सीईओ ने अपने कुछ कर्मचारियों को 9 महीनों तक घर से काम करने दिया, तो उसने सिर्फ किराये पर ही 2000 डॉलर प्रति कर्मचारी पर बचाये थे। उनके कर्मचारियों ने भी काम पर आने-जाने के लिए पैसे खर्च ना करके पैसे बचाये। लेकिन एक बार के लिए हम पैसों से हटकर, जॉब सैटिस्फैक्शन और काम में बढ़त पर ध्यान दें तो कर्मचारी काम करने के समय में लचीलापन होने के कारण ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित होते हैं।
हम एक ऐसे विश्व की कल्पना करना शुरू कर सकते हैं जहां घर से काम करना एक नया कायदा हो। इससे ना सिर्फ सामान्य कर्मचारी ज्यादा कुशल बनेंगे, बल्कि इसका दूसरा फायदा घरों के दामों में कमी होगी। इसके अलावा, घर से काम करना वातावरण के लिए भी बहुत अच्छा है। पिछले कुछ अर्से से प्रदूषण रूपी महामारी भी हमारे महानगरों में फैल चुकी है, शुद्ध हवा में सांस लेना अब एक सपना जैसा हो गया है, लेकिन वर्क फ्रॉम होम शायद हमारे सपने को सच कर दे।
देखा जाए तो साल 2007 में, यूएस पेटेंट ऑफिस ने लगभग 3000 कर्मचारियों को एक साल तक घर से काम करने दिया, जिससे ईंधन के खर्चें पर करीब 20 लाख डॉलर की बचत हुई और वातावरण में 9600 टन कार्बन का उत्सर्जन नहीं हुआ। इतना ही नहीं, वर्क फ्रॉम होम के विकल्प से हमें यातायात में लगने वाले जाम की समस्या व घंटों आवागमन में सुबह और शाम समय के व्यर्थ होने वाले समय की समस्या, पार्किंग की समस्या से काफी हद तक मुक्ति मिलने की संभावना बनती है।
यकीनन, वर्क फ्रॉम होम से हमारे श्रम, धन और समय में बहुत बचत होगी। साथ ही, शहरों को उसके पर्यावरण और आर्थिक विकास की गतिशीलता बनाये रखने में अहम योगदान भी रहेगा।