थिम्फू: भूटान की रानी मां आशी दोर्जी वांगमो वांगचुक ने गुरुवार को देश की राजधानी थिम्फू में कहा कि बौद्ध धर्म भूटान को दिए गए भारत के सबसे बड़े उपहारों में एक है। वांगचुक ‘माउंटेन इकोस’ साहित्य उत्सव के नौवें सत्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत को ‘प्रबुद्ध लोगों की भूमि’ बताया। यह साहित्य उत्सव दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘बौद्ध धर्म के आने के बाद, सबसे चर्चित गुरू पद्मसंभव सहित भारत के कई बौद्ध आचार्य भूटान की यात्रा पर आए। भगवान बुद्ध और गुरू पद्मसंभव की शिक्षाएं भूटान के हर नागरिक के जीवन को लगातार प्रेरित करती आ रही हैं।’ वांगचुक ने कहा, ‘मेरा मानना है कि बौद्ध धर्म हमारी साझा आध्यात्मिक धरोहर है जो हमारे वर्षों पुराने संबंधों में बिना किसी बदलाव के निरंतर बनी हुई है।’ उन्होंने कहा कि साझा सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों की समृद्ध विरासत से भारत और भूटान के बीच संबंध और मजबूत होते हैं।
रानी मां ने कहा, ‘भूटान और भारत के लोगों के लिए यह अत्यधिक संतोष और खुशी का विषय है कि दोनों देशों के बीच शानदार एवं असाधारण मित्रता है। ऐसी दोस्ती, जिसमें अपार विश्वास, सदभावना, समझ और आपसी लाभकारी सहयोग शामिल है।’ उन्होंने उस वक्त को याद किया, जब भूटान के तीसरे नरेश और भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत-भूटान संबंधों की नींव रखी थी।