दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन पिछले दो वर्षों से घरेलू और अंतराष्ट्रीय कारणों से मुश्किलों का सामना कर रहा है। ऐसे में चुनौतियों से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए चीन ने बड़े कदम उठाने की ठान ली है। इसके लिए तमाम क्षेत्रों के कर और शुल्क में भारी कटौती की योजना का ऐलान किया गया है। यह राशि 20 खरब युआन( लगभग 200 खरब रुपए) बतायी जाती है। बीजिंग में जारी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के दौरान चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने जो सरकारी कार्य रिपोर्ट पेश की। उसमें व्यापक कर कटौती की घोषणा की गयी है।
सरकारी कार्य रिपोर्ट में व्यापक तौर पर विदेशी निवेश को आकर्षित करने पर भी जोर दिया गया है। इसके लिए चीन सुधार और खुलेपन का दायरा और व्यापक बनाएगा। इसी दिशा में विदेशी निवेश कानून भी इस बार के सत्र में विचार किया जाएगा, अगर यह कानून पारित हो गया तो चीन में निवेश की इच्छुक कंपनियों और निवेशकों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
बताया जाता है कि इस साल चीन को विकास की राह में जटिल व गंभीर चुनौतियां पेश आने वाली हैं। इसे देखते हुए चीन अपनी विकास दर और अर्थव्यवस्था को कमजोर नहीं होने देना चाहता है। कर कटौती और शुल्क में कमी से बाज़ार में 10 करोड़ से अधिक भागीदारों और आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
रिपोर्ट कहती है कि इस साल चीन सरकार वैट दर व्यवस्था में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है। विनिर्माण उद्योगों के कर में 3 फीसदी की कमी की जाएगी। वर्तमान में यह दर 16 प्रतिशत है, जिसे घटाकर 13 फीसदी करने का वादा किया गया है। जबकि परिवहन व निर्माण आदि उद्योगों के कर को 10 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी किया जाएगा।
सरकारी कार्य रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस योजना से पूरे साल 20 खरब युआन के कॉरपोरेट कर व सामाजिक बीमा के भुगतान के बोझ को घटाया जाएगा। वहीं बड़े स्वामित्व वाले बैंकों की ओर से लघु और सूक्ष्म उद्योगों को दिए जाने वाले ऋण को 30 फीसदी बढ़ाने की मांग भी की गयी है। गौरतलब है कि चीन की राजधानी बीजिंग में जारी साल की सबसे बड़ी राजनीतिक हलचल में रोजाना कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है। जो अगले कई दिनों तक चलेगी।
दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है चीन
गौरतलब है कि चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो कि 130 खरब 60 अरब डॉलर की है। वैश्विक स्तर पर चीनी अर्थव्यवस्था के अनुपात की बात करें तो यह 15 फीसदी से भी अधिक है। इतना ही नहीं समूची दुनिया की आर्थिक वृद्धि में चीन 30 प्रतिशत का योगदान देता है।
हाल के वर्षों में चीन की विकास दर में गिरावट दर्ज की गयी है, चीनी आर्थिक विशेषज्ञ इसे स्वीकार करते हैं। चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने पांच मार्च को जो रिपोर्ट कांग्रेस के सम्मुख पेश की, उसमें भी चीनी अर्थव्यवस्था में मौजूद चुनौतियों और मुश्किलों का उल्लेख किया गया है। जिसमें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन सरकार की कोशिशों से चीनी अर्थव्यवस्था स्थिरता के साथ बढ़ रही है।
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस साल चीन की विकास दर 6.1 और 6.3 फीसदी के बीच स्थिर रहेगी। इसके साथ ही चीन सरकार ने इस साल 11 मिलयन नए रोजगार के मौके उपलब्ध कराने की योजना बनायी है, ताकि शहरों के लिए निर्धारित की गयी बेरोजगारी दर को 5.5 प्रतिशत बनाए रखा जा सके।
लेखक अनिल आज़ाद पांडेय चाइना मीडिया ग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार हैं और चीन-भारत से जुड़े मुद्दों पर भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में अकसर लिखते रहते हैं। इसके साथ ही हैलो चीन पुस्तक के लेखक भी हैं।