Friday, November 22, 2024
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VIDEO: अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के शपथग्रहण समारोह में फायरिंग और बम धमाका

अफगानिस्तान में अशरफ गनी ने राष्ट्रपति के तौर पर दूसरी बार शपथ ली। उनके शपथग्रहण समारोह में फायरिंग और विस्फोट हुआ है। अशरफ गनी के शपथ लेने के बीच यह भी खबर आई के अफगानिस्तान के पूर्व मुख्य कार्यपालक अब्दुल्ला ने खुद को राष्ट्रपति घोषित किया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 09, 2020 17:28 IST
Blast in firing reported during President Ashraf Ghani oath taking ceremony in Kabul- India TV Hindi
Image Source : AP Blast in firing reported during President Ashraf Ghani oath taking ceremony in Kabul

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सोमवार को दूसरे कार्यकाल के लिये राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी समानांतर रूप से राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली। इससे तालिबान के साथ शांति वार्ता से पहले देश में राजनीतिक संकट गहरा गया है। गनी ने शपथ ग्रहण समारोह में कहा, ‘‘ मैं अल्लाह के नाम पर शपथ लेता हूं कि मैं पवित्र इस्लाम धर्म का पालन और उसकी रक्षा करूंगा। मैं संविधान का सम्मान, उसकी निगरानी और उसे लागू करूंगा।’’ गनी ने विदेशी मेहमानों, राजनयिकों और वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में एक शपथ ग्रहण समारोह में शपथ ली।

इससे पहले रविवार को तालिबान ने कहा था कि अमेरिका के साथ हुए उसके शांति समझौते के बाद भी यह तथ्य अपनी जगह बरकरार है कि उसके सर्वोच्च नेता अफगानिस्तान के 'वैध शासक' हैं और उनके लिए 'धर्म ने यह अनिवार्य कर दिया है कि विदेशी 'कब्जाधारी' फौजों की वापसी के बाद वह देश में इस्लामी हुकूमत कायम करें।' 'द न्यूज' की रिपोर्ट में कहा गया कि तालिबान के इस बयान के बाद अमेरिका के साथ हुए शांति समझौते को लेकर अनिश्चितता और बढ़ गई है। यह घटनाक्रम, इस खुलासे के बाद सामने आया है कि अमेरिकी सरकार को इस आशय की खुफिया रिपोर्ट मिली हैं कि तालिबान, अमेरिका के साथ हुए समझौते पर अमल नहीं भी कर सकते हैं।

तालिबान ने शनिवार को अपने बयान में कहा कि उसके 'वैध अमीर' मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदजादा की मौजूदगी में कोई और अफगानिस्तान का शासक नहीं हो सकता। संगठन ने कहा, "विदेशी कब्जे के खिलाफ 19 साल लंबा जिहाद वैध अमीर की कमान के तहत किया गया। कब्जे को खत्म करने के समझौते का अर्थ यह नहीं है कि उनका (मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदजादा का) शासन खत्म हो गया है।"

तालिबान ने अपने बयान में भविष्य के लिए कई गंभीर संकेत भी दिए। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि विदेशी फौजों की वापसी ही उनकी बगावत का लक्ष्य नहीं है बल्कि 'यह विदेशी हमलावरों का समर्थन करने वाले भ्रष्ट (अफगान) तत्वों को भावी सरकार का हिस्सा नहीं बनने देने के लिए भी है। जब तक देश पर विदेशी कब्जा जड़ से नहीं मिट जाता और इस्लामी सरकार की स्थापना नहीं हो जाती, मुजाहिदीन (विद्रोही) अपना सशस्त्र जिहाद जारी रखेंगे।' तालिबान अफगानिस्तान की मौजूद व इससे पहले की सरकारों को अमेरिकी पिट्ठू मानते हैं। इनसे पहले तालिबान को अमेरिकी हमले के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया गया था।

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