बीजिंग: अमेरिका में बाइडेन प्रशासन को सत्ता में आए एक महीना पूरा हो चुका है। बाहरी लोगों ने देखा है कि बाइडेन सरकार के कुछ अधिकारियों द्वारा चीन से संबंधित मुद्दों जैसे कि अर्थव्यवस्था और व्यापार, दक्षिण चीन महासागर, और महामारी के विरोध में दिए गए बयान पिछली सरकार से मिलते-जुलते हैं। पद संभालने की शुरूआत में बाइडेन ने वचन दिया कि महामारी का मुकाबला करने के साथ-साथ आर्थिक पुनरुत्थान को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन वर्तमान स्थिति से देखा जाए, तो इन दोनों मिशनों के सामने भारी चुनौतियां मौजूद हैं। महामारी की वजह से अमेरिका में मृतकों की संख्या 5 लाख से अधिक हो गई है। महामारी की स्थिति कब नियंत्रित होगी, यह भी नहीं पता। हाल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोमि पॉवेल ने सार्वजनिक रूप से कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था का भविष्य अनिश्चितता का एक उच्च स्तर है।
अमेरिकी राजनीतिज्ञों के लिए चीन को कसूरवार ठहराना एक आसान तरीका है। इस तरह दुर्भाग्य से चीन फिर से एक लक्ष्य बन गया है। एंटोनी ब्लिंकन ने अमेरिकी विदेश मंत्री बनते समय सार्वजनिक रूप से कहा था कि हालांकि वे चीन के खिलाफ पिछली सरकार के उपायों से सहमत नहीं थे। फिर भी उन्होंने चीन के प्रति सख्त रुख से सहमति जताई और कहा कि दोनों पार्टियों को चीन को दबाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हाल ही में, एक साक्षात्कार में बाइडेन ने भी यह कहा कि उनकी सरकार चीन और अमेरिका के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है।
जाहिर है कि अमेरिकी राजनीतिक जगत में चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाना दोनों पार्टियों की आम सहमति बन गई है। इसका मतलब यह है कि सत्तारूढ़ टीम का परिवर्तन दवा को बदले बिना सूप बदलना है। वे दोनों अमेरिका के आधिपत्य को बनाए रखने के लिए चीन को दबाएंगे। अंतर केवल साधनों के परिवर्तन में निहित हो सकता है।
हाल ही में चीनी अधिकारी ने अमेरिका से तीन चीजों को 'रोकने' और तीन को 'छोड़ने' का आग्रह किया और चीन-अमेरिका सहयोग के तीन प्रमुख क्षेत्रों का प्रस्ताव दिया। यह चीन-अमेरिकी संबंधों की सही रास्ते पर वापसी के लिए इशारा करता है। यह आशा की जाती है कि बाइडेन प्रशासन अपने पूर्ववर्ती की गलतियों को दोहराने और गलत दिशा में जाने के बजाय बुद्धिमान विकल्प चुनेगा।