ढाका: बांग्लादेश में शनिवार से रोहिंग्या समुदाय के 1.5 लाख बच्चों के लिए खसरा और पोलियो टीकाकरण अभियान शुरू किया गया। कॉक्स बाजार के सिविल सर्जन अब्दुस सलाम ने बताया, ‘5 वर्ष से छोटे और 15 वर्ष तक के सभी बच्चों को खसरा का टीका दिया जाएगा। 5 वर्ष से छोटे सभी बच्चों को पोलियो का टीका दिया जाएगा और 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ए का कैप्सूल दिया जाएगा।’ संयुक्त राष्ट्र बाल निधि (यूनिसेफ) के अनुसार, ‘म्यांमार में 25 अगस्त को फैली हिंसा के बाद यहां आने वाले 400,000 रोहिंग्या मुस्लिमों में करीब 2,00,000 बच्चे शामिल हैं। ये लोग खाद्य, पोषण, आवास, पानी और स्वच्छता संबंधी परेशानियों को सामना कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कुपाषित और कमजोर हैं।’
उखिया और टेकनाफ क्षेत्रों में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं में आने वाले रोहिंग्या समुदाय के अधिकांश लोग, खासकर बच्चे डायरिया, बुखार, सर्दी और त्वचा संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं। सलाम ने बताया, ‘हमलोगों ने सरकार और गैर सरकारी एजेंसियों की मदद से टीकाकरण के लिए जरूरी सभी सामग्रियों को इकट्ठा कर लिया है और आसपास से अतिरिक्त स्वास्थ्यकर्मियों को बुलाया जा रहा है।’ इस बीच बांग्लादेश सरकार ने रोहिंग्या समुदाय के लोगों के लिए कॉक्स बाजार स्थित कुटुपालोंग क्षेत्र के समीप 2000 एकड़ की जमीन पर 14000 अतिरिक्त अस्थायी आवास बनाने के फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आपदा प्रबंधन और राहत मंत्रालय 10 दिनों में इस अस्थायी शिविर के निर्माण को लेकर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश समेत अन्य संबंधित अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से संपर्क करेगा।’
म्यांमार में हिंसा का हालिया दौर तब शुरू हुआ जब 25 अगस्त को अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) से जुड़े रोहिंग्या उग्रवादियों ने राखिन में स्थित पुलिस चौकियों पर हमला कर दिया और 12 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया। उसके बाद म्यांमार से लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने भागकर नाफ नदी के रास्ते सीमा पार कर बांग्लादेश में शरण ली। रोहिंग्याओं का आरोप है कि म्यांमार की सेना बेहद क्रूर अभियान चला रही है और गांव के गांव जला रही है। बौद्ध बहुल देश म्यांमार रोहिंग्या मुसलमानों को अपना नागरिक नहीं मानता है, और उन्हें अवैध प्रवासी कहकर संबोधित करता है।