कॉक्स बाजार: विस्थापित रोहिंग्या मुसलमानों के बिना शर्त म्यांमार वापसी के लिए शरणार्थी शिविरों में अभियान चलाने के आरोपी एक मुस्लिम कार्यकर्ता को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया। 25 अगस्त के बाद से 6,00,000 से ज्यादा रोहिंग्या म्यांमार से बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं। रोहिंग्या विद्रोहियों के समन्वित हमलों के बाद म्यांमार की सेना ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर व्यापक कार्रवाई शुरू की जिसे नरसंहार करार दिया गया है। केवल मान्यता प्राप्त परमार्थ संस्थाओं को ही संवेदनशील सीमाई क्षेत्र में काम करने की मंजूरी है और बांग्लादेश ने शरणार्थी शिविरों तक पहुंच में काफी कड़ाई कर दी है।
महबूबुल आलम मीनार को एक हफ्ते से ज्यादा समय पहले हिरासत में लिया गया था लेकिन पुलिस ने गत रविवार को इस बात की पृष्टि की कि उन्हें अंग्रेजी और बंगाली भाषा में लिखी रोहिंग्याओं की मांगों को दर्शाने वाले बैनर लगाने के संदेह में हिरासत में रखा गया है। सीमाई जिले कॉक्स बाजार के उप पुलिस प्रमुख अफरोज हक तुतुल ने बताया कि मीनार को लेकर जांच शुरू कर दी गई है जिनके जमात-ए-इस्लामी के साथ संबंध हैं। बांग्लादेश के अधिकारी इस्लामी समूहों खासकर राज्यविहीन अल्पसंख्यकों के लिए लड़ रहे अराकान रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी को लेकर सतर्क हैं जो शरणार्थी शिविरों में पैठ बना रहे हैं।
बैनर में लिखी थीं ये मांगें
पुलिस का मानना है कि मीनार ने अकेले ही बैनर लगाएं। बैनर में सभी विस्थापित रोहिंग्याओं के लिए म्यांमार में सुरक्षित वापसी, उनके नष्ट किए गए घरों को लेकर मुआवजे की तथा जब्त जमीनें वापस करने की मांगें की गईं। इसमें यह मांग भी की गई थी कि दक्षिणी म्यांमार के रखाइन राज्य का नाम बदलकर रोहिंग्या नाम ‘अराकान’ कर दिया जाए और वहां के मुसलमानों को पूर्ण धार्मिक आजादी, शिक्षा का अधिकार दिया जाए और उनके लिए अलग अदालतों का गठन किया जाए।