ढाका: बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.के. अब्दुल मोमिन ने प्रवासियों सहित सभी बांग्लादेशियों से राष्ट्र के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के बचे हुए भगोड़े हत्यारों की तलाश में मदद करने की अपील की है। मोमिन ने कहा, ‘हमें 'बंगबंधु' के जन्म शताब्दी समारोह के दौरान मुजीब वर्ष में दो भगोड़े हत्यारों को पकड़कर न्याय किए जाने की उम्मीद थी। हम एक को पकड़ने में सफल रहे हैं और दूसरे को पकड़ने की उम्मीद जता रहे हैं।’ बता दें कि 6 हत्यारों में से एक अब्दुल माजिद को हाल ही में फांसी दे दी गई।
भारत सरकार ने माजिद को गिरफ्तार कर उसे बांग्लादेश को सौंप दिया था। इस साल अप्रैल में माजिद को फांसी पर लटकाया गया। तीन अन्य फरार दोषियों में अब्दुर रशीद, शरीफुल हक दलिम और मोस्लेमुद्दीन शामिल हैं। बांग्लादेश के अन्य सभी विदेशी मिशन या दूतावासों को भी भागे हुए हत्यारों का पता लगाने के लिए कहा गया है। मोमिन ने कहा कि सरकार रशीद को अमेरिका और अन्य सिद्ध अपराधी नूर चौधरी को कनाडा से वापस लाने के लिए अपना हर संभव कोशिश कर रही है। विदेश मंत्री ने कहा, खुद प्रधानमंत्री ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पत्र लिखा है। हमें उम्मीद है कि हम कामयाब होंगे।
उन्होंने अपने देशवासियों से भी हत्यारों के बारे में जानकारी देकर सरकार की मदद करने की अपील की है। 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान की हत्या उनके परिवार के ही अधिकतर सदस्यों द्वारा उन्हीं के घर में 15 अगस्त, 1975 को की गई थी। उनकी बेटियां, यहां की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना और शेख रेहाना उस समय संयोगवश जर्मनी में होने के चलते बच गई थीं। लेकिन तत्कालीन सैन्य शासक जिया-उर-रहमान द्वारा हत्याओं की जांच एक अध्यादेश के माध्यम से रोक दी गई थी जिससे हत्यारों को सजा नहीं हो सकी।
21 साल बाद जब हसीना की अवामी लीग ने सत्ता में अपनी वापसी की तो नवंबर, 1996 को इस अध्यादेश को रद्द कर दिया गया और हत्यारों पर कार्रवाई फिर से शुरू की गई। साल 2001 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी)-जमात गठबंधन के सत्ता में आने पर मुजीब के हत्यारों पर मुकदमे को फिर से टाल दिया गया। बहरहाल, एक लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने 12 संदिग्धों को दोषी ठहराया और उन्हें 2010 में मौत की सजा सुनाई गई। इन पांच दोषियों में सैयद फारूक रहमान, सुल्तान शहरयार रशीद खान, बाजुल हुदा, एकेएम मोहिउद्दीन अहमद और मोहिउद्दीन अहमद को 27 जनवरी, 2010 को फांसी दी गई, जबकि हत्यारों में से एक अजीज पाशा की साल 2001 में जिम्बाब्वे में मौत हो गई थी।