ढाका: भारत में मिले हजारों मामलों के बाद अब बांग्लादेश के सतखीरा से ब्लैक फंगस का पहला केस दर्ज किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा मंगलवार को दी गई जानकारी के मुताबिक, यह मरीज कोरोना वायरस महामारी से उबरने के बाद इस बीमारी की चपेट में आया। मीडिया संग महानिदेशक एमकेआई कय्यूम चौधरी की हुई बातचीत के हवाले से बीडीन्यूज24 ने बताया कि मई में बर्डेम हॉस्पिटल में टेस्ट होने के दौरान शख्स में म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस के होने का पता चला था। खुलना में पहले मरीज के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का पता लगा था।
बांग्लादेश में मिले मरीज की हालत गंभीर
यह पूछे जाने पर कि क्या मरीज ने भारत का सफर किया था, इस पर चौधरी ने कोई जवाब नहीं दिया। बता दें कि म्यूकोर्मिकोसिस एक फंगल इंफेक्शन है, जो दुर्लभ होने के साथ-साथ घातक भी है। 50 फीसदी मामलों में यही फंगल इंफेक्शन मौत का कारण बनता है। आंखों या जबड़े के आसपास की हड्डी को हटाकर ही बांग्लादेश में ब्लैक फंगस से पीड़ित एकमात्र मरीज को बचाया जा सकता है। बांग्लादेश के पड़ोसी देश भारत में ब्लैक फंगस के लगभग 6 हजार मामले सामने आ चुके हैं, और गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली समेत कई राज्यों में सैकड़ों की संख्या में इसके मामले सामने आए हैं।
ब्लैक फंगस से इन लोगों को ज्यादा खतरा
डॉक्टरों के मुताबिक, जिन लोगों को डाइबिटीज है और वे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं, उन पर ब्लैक फंगस के आक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है। हालांकि कई ऐसे लोगों में भी इस बीमारी का पता चला है जिनको कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ था। डॉक्टरों का कहना है कि दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक कर पाता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। चूंकि डाइबिटीज मरीज स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए उनका इम्यूनिटी लेवल कम हो जाता है, इस कारण ब्लैक फंगस को उन्हें अपना शिकार बनाने का मौका मिल जाता है।