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अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग, जानिए क्या है वजह

Armenian भाषा में इस इलाके को Karvachar कहा जाता है, जो लीगली Azerbaijan का हिस्सा है लेकिन साल 1994 में Nagorno-Karabakh इलाके को लेकर हुए युद्ध के बाद से Armenia के मूल निवासियों के कंट्रोल में है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : November 16, 2020 16:10 IST
armenian people burning their homes as area to be handed over to Azerbaijan । अपने ही घरों को आग लगा
Image Source : AP armenian people burning their homes as area to be handed over to Azerbaijan । अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग, कई गांव हुए राख

कालबाजार. 21 साल के गारो डेडुवसियन ने अपने घर की धातु की छत को उखाड़ फेंका है और वो पत्थरों से बने अपने घर को आग लगाने की तैयारी कर रहा है। गारो डेडुवसियन के पड़ोसियों के एक घर में से पहले से ही धुआं उठ रहा है। दरअसल गारो डेडुवसियन और उनके पड़ोसी अर्मेनिया के उन लोगों में से हैं जिनके गांव अब आज़रबाइजान के निंयत्रण में आने जा रहे हैं।

armenian people burning their homes as area to be handed over to Azerbaijan । अपने ही घरों को आग लगा

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अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग

गारो डेडुवसियन का अर्मेनिया के उन इलाकों में से एक है, जो Armenia और Azerbaijan के बीच हुए समझौते के तहत Azerbaijan को सौंप दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच पिछले 6 हफ्तों से चली आ रही लड़ाई पर इस समझौते के साथ विराम लग गया है। इस समझौके की वजह से इस इलाके में रह रहे अर्मेनियाई लोगों में इतना भय और गुस्सा है कि वो अपने घरों को नष्ट कर रहे हैं, जिनमें वो कभी रहा करते थे। 

armenian people burning their homes as area to be handed over to Azerbaijan । अपने ही घरों को आग लगा

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अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग

Armenian भाषा में इस इलाके को Karvachar कहा जाता है, जो लीगली Azerbaijan का हिस्सा है लेकिन साल 1994 में  Nagorno-Karabakh इलाके को लेकर हुए युद्ध के बाद से Armenia के मूल निवासियों के कंट्रोल में है। इस युद्ध में न सिर्फ Nagorno-Karabakh बल्कि उसके आसपास के कई इलाकों पर Armenia का कब्जा हो गया था।

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अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग

Azerbaijani और Armenian सेनाओं के बीच लंबे समय से चली आ रहीं छिटपुट झड़पों ने इस साल सितंबर के अंत में पूर्ण युद्ध का रूप ले लिया था। युद्ध शुरू होने के बाद अज़रबैजान की सेनाएं आगे बढ़ती गईं और उन्होंने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर, Shusha पर कब्जा कर लिया। इस शहर का लंबे समय से अज़ेरी संस्कृति के केंद्र के रूप में मजबूत भावनात्मक महत्व है।

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अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग

Shusha शहर पर कब्जे के Azerbaijan के ऐलान के दो दिन बाद रूस की मध्यस्ता में Armenia और Azerbaijan ने सीजफायर की घोषणा की। दोनों देशों में हुए समझौते के तहत Nagorno-Karabakh की सीमा के बाहर जिस भी इलाके पर Armenia का कह्जा है वो Azerbaijan को सौंप दिया जाएगा। कभी इस इलाके में Azeri मुस्लिम और Armenian ईसाई मिलकर रहा करते थे। दोनों समुदायों में कभी-कभार तनाव की खबरें भी सामने आती थीं। अब हालांकि सीजफायर के साथ यहां युद्ध विराम को गया है लेकिन यहां जातीय बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है।

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अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग

घर छोड़ने से पहले उसे उजाड़ने की तैयारी कर रहे गारो डेडुवसियन कहते हैं, "अंत में, हम इसे उड़ा देंगे या इसे आग लगा देंगे, ताकि मुसलमानों के लिए यहां कुछ भी न बचे।" गारो डेडुवसियन ने ट्रक में वो सभी सामान लाद लिया है, जो गांव से ले जाया जा सकता है हालांकि ये गारो डेडुवसियन को खुद ये नहीं पता की वो ट्रक लेकर कहां जाने वाले हैं। अपने घरों को एक आखिरी बार निहारते हुए गारो डेडुवसियन की पत्नी Lusine की आंखों में पानी भर आता है। वो कहती हैं, "हम अभी बेघर हैं, पता नहीं कहां जाना है और कहां रहना है। पता नहीं, कहां रहना है। यह बहुत मुश्किल है।"

armenian people burning their homes as area to be handed over to Azerbaijan । अपने ही घरों को आग लगा

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अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग

डेडुवसियन ने बातों ही बातों में रूस के राष्ट्रपति विलादिमीर पुतिन से भी अपनी नाराजगी जाहिर की। दरअसल आर्मेनिया और रूस करीबी संबंध रखते हैं और रूस के पास आर्मेनिया में एक बड़ा सैन्य अड्डा है, इसलिए कई आर्मेनियाई लोगों ने मास्को से समर्थन की उम्मीद की थी। इसके बजाय, रूस ने संघर्ष विराम और क्षेत्रीय रियायतों की सुविधा दी और इसे लागू करने के लिए लगभग 2,000 शांति सैनिकों को भेज रहा है।

डेडुवसियन पूछते हैं, "पुतिन ने हमें क्यों छोड़ दिया है?"

armenian people burning their homes as area to be handed over to Azerbaijan । अपने ही घरों को आग लगा

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armenian people burning their homes as area to be handed over to Azerbaijan । अपने ही घरों को आग लगाने के लिए मजबूर हो गए अर्मेनिया के लोग, कई गांव हुए राख

शनिवार को किलोमीटरों लंबी कार और ट्रक की कतारों ने अर्मेनिया की सड़कों का रुख किया। गांव छोड़ने से पहले यहां के चर्च में स्थानीय लोग जमा हुए। चर्च के पादरी ने चर्च में रखी सभी पवित्र वस्तुएं हटा लीं। अपने गांव छोड़ने से पहले कई लोगोंने इस चर्च को अपनी यादों में संजोने के लिए एक आखिरी तस्वीर अपने मोबाइल कैमरों में कैद की। अब इस इलाके में रूस के शांति सैनिक पहुंच चुके हैं। आपको बता दें कि साल 1994 में हुए युद्ध में हजारों की तादाद में Azeris लोग विस्थापित हुए थे। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कब Karvachar में Azerbaijan के अपने लोगों बसाएगा। ये इलाका अब अपने  Azeri पहचान Kalbajar के नाम से पहचाना जाएगा।

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