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नेपाल में एक बार फिर टल गई कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक

नेपाल में एक बार फिर कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक टल गई गई है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी बचेगी या जाएगी, इसपर अब फैसला 8 जुलाई के बाद लिया जा सकता है। आज उनकी पार्टी की स्थाई समिति की बैठक होने वाली थी जिसमें कुल 45 सदस्य हैं लेकिन महज 14 ही ओली समर्थक बताए जा रहे हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : July 06, 2020 9:46 IST
Amid border row with India, Nepal's Communist Party to decide PM Oli's fate today
Image Source : FILE Amid border row with India, Nepal's Communist Party to decide PM Oli's fate today

नई दिल्ली: नेपाल में एक बार फिर कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक टल गई गई है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी बचेगी या जाएगी, इसपर अब फैसला 8 जुलाई के बाद लिया जा सकता है। आज उनकी पार्टी की स्थाई समिति की बैठक होने वाली थी जिसमें कुल 45 सदस्य हैं लेकिन महज 14 ही ओली समर्थक बताए जा रहे हैं। इससे पहले पूर्व पीएम और सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पा्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के साथ ओली की बातचीत बेनतीजा रही। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि ओली अपनी पार्टी को दो टुकड़ों में भी बांट सकते हैं। दोनों नेताओं ने पार्टी की शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक से पहले अपने मतभेदों को दूर करने के लिये आज फिर मिलने का फैसला किया है।

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माधव नेपाली और झालानाथ खनल समेत वरिष्ठ नेताओं के समर्थन वाला प्रचंड धड़ा मांग कर रहा है कि ओली पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री दोनों पदों से इस्तीफा दें। प्रधानमंत्री ओली के एक करीबी सूत्र ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि दोनों नेता अपने-अपने रुख पर अड़े रहे और बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला।

पहले ही दो बार स्थगित हो चुकी स्थायी समिति की आज होने वाली बैठक में 68 वर्षीय प्रधानमंत्री के राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसला होने की उम्मीद है। शनिवार को 45 सदस्यों वाली स्थायी समिति की अहम बैठक को आज तक के लिये टाल दिया गया था जिससे ओली के काम करने के तौर-तरीकों और भारत विरोधी बयानों को लेकर मतभेद को दूर करने के लिये शीर्ष नेतृत्व को और वक्त मिल सके।

इसबीच प्रधानमंत्री ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा से मुलाकात की। यद्यपि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इस मुलाकात के दौरान क्या चर्चा हुई लेकिन ऐसे कयास हैं कि ओली ने सत्ताधारी दल में विभाजन की स्थिति में अपनी सरकार बचाने के लिये देउबा से समर्थन मांग सकते हैं।

ओली ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड पर सरकार चलाने में असहयोग का आरोप लगाया जबकि प्रचंड ने ओली पर पार्टी में आधिपत्य स्थापित करने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ओली ने पिछले हफ्ते दावा किया था कि उन्हें सत्ता से हटाने के लिये दूतावासों और होटलों में विभिन्न तरह की गतिविधियां हो रही हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों- लिपुलेख,कालापानी और लिंपियाधुरा- को देश के नए राजनीतिक मानचित्र में शामिल किये जाने के बाद कुछ नेपाली नेता भी इस साजिश में शामिल हैं।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि प्रचंड ने पिछले हफ्ते हुई स्थायी समिति की बैठक में कहा था कि प्रधानमंत्री द्वारा भारत और अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ निराधार आरोप लगाना उचित नहीं है। प्रचंड पहले भी कई बार पार्टी और सरकार के बीच समन्वय की कमी का मुद्दा उठा चुके हैं और वह चाहते हैं कि पार्टी में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का सिद्धांत अपनाया जाए।

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