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कोरोना वायरस से बहुत डरे हुए हैं अमेरिकी, कहां से लाएंगे इलाज के लिए पैसा?

दुनिया के विभिन्न देशों की तरह ही अमेरिकियों को भी कोरोना वायरस डरा रहा है लेकिन दुनिया के सबसे अमीर देश और बेहतरीन चिकित्सा सुविधा से लैस अमेरिका में करीब पौने तीन करोड़ गैर बीमित लोग हैं जिन्हें इलाज पर आने वाले भारी भरकम खर्च की चिंता सता रही है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 01, 2020 16:16 IST
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कोरोना वायरस से बहुत डरे हुए हैं अमेरिकी, कहां से लाएंगे इलाज के लिए पैसा?

वॉशिंगटन: दुनिया के विभिन्न देशों की तरह ही अमेरिकियों को भी कोरोना वायरस डरा रहा है लेकिन दुनिया के सबसे अमीर देश और बेहतरीन चिकित्सा सुविधा से लैस अमेरिका में करीब पौने तीन करोड़ गैर बीमित लोग हैं जिन्हें इलाज पर आने वाले भारी भरकम खर्च की चिंता सता रही है। वाशिंगटन में रहने वाली 22 वर्षीय डांजले विलियम्स मानती है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में इलाज का खर्च नहीं उठा पाएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से खर्च के चलते डॉक्टर के पास जाने से पहले दूसरे विकल्प पर विचार करूंगी। अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो इलाज के लिए मेरे पास पर्याप्त जमा पूंजी नहीं है।’’

उल्लेखनीय है कि देश के पश्चिमी हिस्से में विषाणु पांव पसार रहा है और शनिवार को इससे पहली मौत दर्ज की गई। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि इन पहलुओं के मद्देनजर अमीर देशों में भी खतरा बढ़ जाता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय रीवरसाइड में महामारी विशेषज्ञ ब्रांडन ब्राउन ने बताया कि स्वास्थ्य के संदर्भ में गैर बीमित आबादी में वृद्धि हो रही है और 1.1 करोड़ से अधिक अवैध प्रवासी हैं जो बीमार होने पर नौकरी जाने के डर से प्रशासन से संपर्क नहीं करते।

उन्होंने कहा, ‘‘इन पहलुओं की वजह से विषाणु का प्रसार हो सकता है।’’ विशेषज्ञों के मुताबिक 2010 में ओबामा केयर कानून आने के बाद 4.67 करोड़ गैर बीमित आबादी में कमी आने लगी थी लेकिन गत दो साल से इसमें वृद्धि हो रही है और मौजूदा समय में 8.5 प्रतिशत आबादी गैर बीमित है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि अमेरिका में बेहतरीन अस्पताल और चिकित्सा कर्मी हैं लेकिन वे लोग सौभाग्यशाली नहीं हैं जिनके नियोक्ताओं ने न तो उचित स्वास्थ्य बीमा मुहैया नहीं कराया है और न ही वे इतने गरीब हैं कि सरकारी बीमा का लाभ उठा सकें। ऐसे लोगों के लिए संकट गहरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों से नियमित रूप से जांच कराने की स्थिति में इन लोगों पर सैकड़ों डॉलर का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

जॉन हॉपकिंस अस्पताल के जैव संक्रमण शाखा के चिकित्सा निदेशक ब्रायन गैरीबाल्डी ने कहा, ‘‘अगर इसका लगातार प्रसार होता रहा तो संभव है कि इससे स्वास्थ्य सेवा में विषमता रेखांकित होंगी जिसकी जानकारी पहले से है और उन्हें दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन अब तक समाधान नहीं निकला है।’’

अमेरिकी कानून के तहत गैर बीमित व्यक्ति का इलाज सरकार कराती है लेकिन यह मुफ्त नहीं होता और व्यक्ति को बाद में इलाज पर आए भारी भरकम खर्च का भुगतान करना होता है। ब्रायन ने कहा कि रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (सीडीसी) ने सांस लेने में परेशानी होने पर डॉक्टर के पास जाने के अलावा घर पर ही रहने का निर्देश दिया है लेकिन बहुत बड़ी संख्या में लोग नौकरी, पद और सुविधा के आधार पर ऐसा नहीं कर पाते। इकोनॉमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के मुताबिक अमेरिका विकसित देशों में इकलौता है जो संघीय कानून के तहत बीमार होने पर सवेतन छुट्टी की सुविधा नहीं देता। हालांकि, निजी कंपनियां सालाना आठ चिकित्सा अवकाश देती हैं लेकिन निम्न वेतन वर्ग के केवल 30 फीसदी कर्मचारी ही इन छुट्टियों का इस्तेमाल कर पाते हैं। कई कर्मचारियों के लिए एक दिन की छुट्टी बड़ी आर्थिक क्षति है।

अक्टूबर 2019 में 2800 कर्मचारियों पर राष्ट्रीय स्तर पर किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक रॉबर्ट हाफ कंपनी में 57 प्रतिशत लोग कई बार बीमार पड़ने के बावजूद काम पर गए जबकि 33 फीसदी ने बताया कि बीमार होने के बावजूद वे हमेशा काम पर आए। कोरोना वायरस से अब तक दुनियाभर में करीब तीन हजार लोगों की मौत हो चुकी है और अमेरिका इस बीमारी का इलाज और टीका खोजने का प्रयास कर रहा है। मौजूदा आकलन के तहत कारगर टीका विकसित करने में 12 से 18 महीने का समय लग सकता है लेकिन पिछले हफ्ते कांग्रेस (अमेरिकी संसद) ने स्वास्थ्य मंत्री अलेक्स अज़र से सवाल किया कि क्या सभी तक नए विकसित टीकों की पहुंच सुनिश्चित हो पाएगी? अज़र ने इस सवाल पर कहा, ‘‘ हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि नई दवा सभी की पहुंच में रहे लेकिन कीमत को नियंत्रित नहीं कर सकते क्योंकि हमें निजी क्षेत्र से निवेश की जरूरत है।’’

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