Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. एशिया
  4. 'हस्तक्षेपवाद से ग्रस्त अमेरिका अभी भी गलत रास्ते पर अड़ा है'

'हस्तक्षेपवाद से ग्रस्त अमेरिका अभी भी गलत रास्ते पर अड़ा है'

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन 3 मई को जी-7 के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए लंदन में मौजूद थे। जैसा कि बाहरी दुनिया ने सोचा, वैसा ही हुआ, ब्लिंकेन की वर्तमान यात्रा ने चीन और रूस को दबाने के लिए अपने मित्र देशों को एकजुट करने के इरादे का कोई रहस्य नहीं बनाया।

Reported by: IANS
Published on: May 06, 2021 7:27 IST
'हस्तक्षेपवाद से...- India TV Hindi
Image Source : IANS 'हस्तक्षेपवाद से ग्रस्त अमेरिका अभी भी गलत रास्ते पर अड़ा है'

बीजिंग: अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन 3 मई को जी-7 के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए लंदन में मौजूद थे। जैसा कि बाहरी दुनिया ने सोचा, वैसा ही हुआ, ब्लिंकेन की वर्तमान यात्रा ने चीन और रूस को दबाने के लिए अपने मित्र देशों को एकजुट करने के इरादे का कोई रहस्य नहीं बनाया। यह बाइडेन प्रशासन के सौ दिन बाद हुआ, जिससे अमेरिकी कूटनीतिक रणनीति का समायोजन स्पष्ट हुआ है। एक तरफ अमेरिका ने अक्सर पारंपरिक यूरोपीय मित्र देशों को अपना दोस्ताना रवैया दिखाया और आशा जतायी कि वे चीन का दमन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। दूसरी तरफ, अमेरिका भी वैश्विक रणनीतिक संसाधनों का समायोजन तेजी से कर रहा है। कुछ समय पहले, ब्लिंकेन ने अमेरिका का रुख स्पष्ट किया कि वह अफगानिस्तान से हटकर चीन पर ध्यान केंद्रित करेगा।

अफगानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध से न सिर्फ हजारों बड़े-बड़े घावों से ग्रस्त अफगानिस्तान को छोड़ा गया है, बल्कि अमेरिका भी दीर्घकालिक विदेशी हस्तक्षेप के बुरे परिणामों से ग्रस्त रहा है। और गंभीर बात यह है कि अमेरिकी लोकतंत्र की नींव पर व्यापक रूप से सवाल उठाए गए। अफगानिस्तान, इराक समेत विदेशी 'लोकतांत्रिक मॉडल' जर्जर परियोजना बन गया। देश में, पिछले जनवरी में अमेरिकी राजनीतिक केंद्र कैपिटल हिल में दंगा हुआ, जिससे 'अमेरिकी लोकतंत्र' पूरी दुनिया का हंसी का पात्र बना। कुछ समय पहले अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने दूसरे देश में हुए दंगों को 'सबसे सुंदर दृश्य' कहा था।

हस्तक्षेपवाद का नुकसान खत्म नहीं हो रहा है। लेकिन इसी वक्त में अमेरिका ने अपने दोस्तों को मिलाकर नया हस्तक्षेप शुरू कर दिया है। तथाकथित 'मानवाधिकार' 'लोकतंत्र', और 'स्वतंत्रता' के बैनर के तहत, अमेरिका ने 'हांगकांग,' 'शिनच्यांग,' 'थाइवान' से जुड़े मामलों का खेल खेलकर अपने दोस्तों के साथ चीन पर दबाव डाला।

इतिहास एक आईना होता है। दशकों तक मध्य पूर्व में संघर्ष करने के बाद अमेरिका फिर भी धूल धूसरित हो गया। एशिया में, चीन जैसे मजबूत व शक्तिशाली ताकत के मामलों में हस्तक्षेप करना बेहद खतरनाक है। अमेरिकी नीति निमार्ताओं को अच्छी तरह से सोच-विचार करने की आवश्यकता है कि यदि वे चीन के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ते हैं तो क्या वे हस्तक्षेपवाद के नए दौर के बुरे परिणामों का सामना करने में सक्षम होंगे?

(साभार : चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement