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चीन को झटका! अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी ने भारत के पक्ष में दिया बड़ा बयान

 लद्दाख और अरुणाचल पर आए दिन दावा करने वाले चीन को इस बार अमेरिका से बड़ा झटका मिला है। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 01, 2020 22:34 IST
America says Arunachal Pradesh is Indian territory Jolt to China । चीन को झटका! अमेरिका के वरिष्ठ अध- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/ANI America says Arunachal Pradesh is Indian territory । चीन को झटका! अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी ने भारत के पक्ष में दिया बड़ा बयान

न्यूयॉर्क. भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद को लेकर तनाव जारी है। चीन दशकों से लगातार ही लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक विवाद पैदा करने की कोशिश करता रहा है, लेकिन इस बार भारत ने चीन को ऐसा जवाब दिया है, जिसकी खुद चीन को उम्मीद न थी।  लद्दाख और अरुणाचल पर आए दिन दावा करने वाले चीन को इस बार अमेरिका से बड़ा झटका मिला है। अमेरिका के एक बड़े अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा मानता है।

उन्होंने कहा, "लगभग छह दशकों से अमेरिका ने माना है कि अरुणाचल प्रदेश भारतीय क्षेत्र है। हम वास्तविक नियंत्रण की स्थापित रेखा के पार सैन्य या असैन्य तरीकों से घुसपैठ द्वारा क्षेत्र कब्जाने की किसी भी एकतरफा कोशिश का पुरजोर विरोध करते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "जहां तक बात विवादित इलाकों की है, इस बारे में हम यह कह सकते हैं कि हम भारत और चीन को अपने मौजूदा द्विपक्षीय चैनलों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और सैन्य बलों का उपयोग न करने की सलाह देते हैं।"

अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट में चीन के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का सुझाव

अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में चीन के खतरे का मुकाबला करने के लिए निर्णायक कार्रवाई का सुझाव देते हुए आरोप लगाया गया है कि चीन मानवाधिकार हनन में शामिल है और सैन्य तैनाती बढ़ा रहा है तथा उसने दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। चीन के बारे में यह अमेरिकी संसद की यह रिपोर्ट बुधवार को जारी की गयी।

इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं, मानवाधिकारों का हनन, आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी परेशानियों, कोरोना वायरस महामारी से निपटने में त्रुटियों और विश्व पटल पर चीन के बढ़ते प्रभाव जैसे मुद्दों से निपटने के लिए 400 से ज्यादा नीतिगत सिफारिशें की गई हैं।

रिपोर्ट के अनुसार चीन "भारतीय सीमा पर भूमि पर कब्जा करने के लिए घातक झड़पों में शामिल है।" रिपोर्ट में 5जी मोबाइल संचार और आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों का निदान करने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के प्रमुख लोकतंत्रों का डी -10 समूह (वर्तमान जी-7 सदस्यों के अलावा दक्षिण कोरिया, भारत और ऑस्ट्रेलिया) बनाने के प्रस्ताव का समर्थन किया गया है।

रिपोर्ट में चीन में सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के दुष्टचार का जवाब देने के लिए सरकार की तरफ से आक्रामक सूचना अभियान चलाने को कहा गया है जो सीसीपी की "असत्य और दुष्ट" विचारधारा को कमतर करने के लिए सच और अमेरिकी मूल्यों का इस्तेमाल करे। उसने कहा कि बीते एक वर्ष में सीसीपी ने एक अंतरराष्ट्रीय संधि तोड़ी है और हांगकांग को नागरिक स्वतंत्रताओं से वंचित किया है। उइघर और तिब्बती समेत जातीय अल्पसंख्यकों का दमन जारी है।

चीन ने अपने सैन्य बल को बढ़ाया है, युद्ध के लिए उकसावे भरी कार्रवाई की हैं, समुद्र में दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। भारतीय सीमा पर भूमि पर कब्जा करने के लिए घातक झड़पें की हैं और भूटान पर नए क्षेत्रीय दावे किए हैं।

रिपोर्ट में विदेश विभाग के जुलाई 2020 के बयान की तारीफ की गई है, जिसमें दक्षिण चीन सागर में चीन की क्षेत्रीय आक्रामकता को अवैध कहा गया है। इसने कहा कि प्रशासन को चीन के अवैध कदाचार के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई अन्य क्षेत्रों में भी करनी चाहिए थी, जिनमें सेनकाकू द्वीप के आसपास और भारतीय सीमा पर चीन की गतिविधियां शामिल हैं।

रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका को अपनी अग्रिम मौजूदगी को बढ़ाना चाहिए और संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यास के माध्यम से सहयोगियों और साझेदार राष्ट्रों के साथ पारस्परिक व्यवहार में सुधार करना चाहिए। इसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अन्य जैसे समान विचारधारा वाले देशों को एक साथ लाना और बहुपक्षीय अभ्यासों को नियमित करना शामिल है।

सदन की सशस्त्र सेवा समिति के रैकिंग सदस्य मैक थॉर्नबेरी ने कहा कि चीन अमेरिका के हितों और सुरक्षा के लिए एक अनूठे तरीके की चुनौती पेश करता है। चीन का मुकाबला करने के लिए सभी मंत्रालयों और एजेंसियों को साथ आना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम सिर्फ सैन्य बल या हमारी कूटनीति पर निर्भर नहीं कर सकते हैं।’’

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