नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी, 2019 की सुबह पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तुनख़्वा प्रांत के बालाकोट में स्थित आतंकी शिविरों पर हवाई हमले किए। यह जाहिरा तौर पर पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमले के जवाब में किया गया जिसमें सीआरपीएफ के 44 से अधिक जवान मारे गए थे। भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई में 200-300 आतंकियों के मारे जाने की खबर है।
सूत्रों के मुताबिक एनएसए अजीत डोभाल ने इस एयर स्ट्राइक के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी को जानकारी दी है। इस हमले के बाद भारतीय वायुसेना हाई अलर्ट पर है। सीमा पर सटे स्थानीय लोगों ने भी बताया है कि सोमवार रात से ही सीमा पर लड़ाकू विमानों की आवाजें आ रही थीं। यह क्षेत्र कई आतंकी प्रशिक्षण शिविर होने के लिए कुख्यात है। जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन इसी क्षेत्र से काम करता है।
बालाकोट कैसे बना JeM का सबसे बड़ा ठिकाना?
2001 में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े सैन्य प्रशिक्षण केंद्रों के रूप में ये इलाका उभरा था। सूत्रों के मुताबिक, मसूद को यहां बहुत सी जमीन दान में दी गई थी और जिहादियों को प्रशिक्षित करने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए पैसे दिए गए थे। कुछ ही वर्षों में, यह जैश के लिए एक प्रमुख सैन्य भर्ती केंद्र बन गया।
इसका इस्तेमाल न केवल एक समय में 10,000 से अधिक भर्तियों के लिए प्रशिक्षण मैदान के रूप में किया गया बल्कि यहां कई मदरसे, मस्जिद और नियंत्रण कक्ष भी थे। जहां से कई आतंकी घटनाओं की योजना बनाई गई थी। कहा जाता है कि JeM प्रमुख मसूद अजहर और उनके भाई अब्दुल रऊफ असगर इन शिविरों की देखरेख करते हैं। 2001 से पहले तालिबान की निकटता के कारण जैश के पास अफगानिस्तान में अपना प्रशिक्षण शिविर था।
सूत्रों से पता चला है कि 2001 से तालिबान से दूर होते हुए JeM ने खुद को बालाकोट में स्थानांतरित कर लिया। स्थानांतरित करने का काम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई ने निभाया। क्योंकि, लश्कर-ए-तैयबा भी पाकिस्तान में बहुत मजबूत था, इसलिए वो नहीं चाहता था कि जैश और लश्कर एक दूसरे के आड़े आएं। इसीलिए JeM को पीओके के करीब मानसेरा जिले में स्थानांतरित कर दिया गया।
कहां है बालाकोट
बालाकोट पाकिस्तान ख़ैबर पख़्तुनख़्वा प्रांत के मनशेरा ज़िले में है। यह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद 160 किलोमीटर की दूरी पर है। कश्मीर में जब 2005 में भूकंप आया तो बालाकोट पूरी तरह से बर्बाद हो गया था। 2005 के भूकंप के बाद इस शहर को फिर से पटरी पर लाने में काफ़ी वक़्त लगा था। इस शहर को फिर से बनाने में सऊदी ने भी काफ़ी मदद की थी।
7.6 की तीव्रता वाले भूकंप में बालकोट के 12 यूनियन काउंसिल दब गए थे और इनमें कम से कम 40 हज़ार लोगों के घर थे। बालाकोट पर्वतीय और बेहद ख़ूबसूरत इलाक़ा है। ख़ैबर पख़्तुनख़्वा और गिलगित बल्टिस्तान सुहाने मौसम के लिए जाने जाते हैं। यह कुनहर नदी के तट पर है। बालाकोट अपनी ख़ूबसूरती के अलावा विविध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है। बालाकोट सिंधु घाटी सभ्यता के चार प्राचीन तटीय इलाक़ों में से एक है।